GST क्षतिपूर्ति व्यवस्था जारी रखने की मांग राज्यों ने की, 30 जून को ही खत्म हो समयसीमा
जीएसटी परिषद की मंगलवार से चंडीगढ़ में शुरू हुई बैठक के बीच विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य क्षतिपूर्ति को लेकर मुखर हो गए हैं।
GST: राजस्व में कमी आने की आशंका से परेशान कई विपक्ष-शासित राज्यों ने मांग की है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राजस्व बंटवारे का फॉर्मूला बदला जाए या फिर क्षतिपूर्ति व्यवस्था को अगले पांच साल के लिए बढ़ाया जाए। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की केंद्र से भरपाई की क्षतिपूर्ति व्यवस्था पांच साल के लिए लागू की गई थी। यह समयसीमा 30 जून को ही खत्म हो रही है। ऐसी स्थिति में राज्यों को आशंका सता रही है कि उन्हें राजस्व का नुकसान हो सकता है। जीएसटी से संबंधित मामलों में निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था जीएसटी परिषद की मंगलवार से चंडीगढ़ में शुरू हुई बैठक के बीच विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य क्षतिपूर्ति को लेकर मुखर हो गए हैं।
इन राज्यों ने अपनी मांग उठाई
छत्तीसगढ़, केरल और पश्चिम बंगाल ने इस संबंध में अपनी मांग उठाई है। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी से राजस्व को समान रूप से विभाजित करने के मौजूदा फॉर्मूले को बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों को इस राजस्व का 70-80 प्रतिशत हिस्सा दिया जाना चाहिए। जीएसटी परिषद की प्रमुख एवं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में देव ने कहा कि छत्तीसगढ़ को जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। खास तौर से खनन और विनिर्माण आधारित राज्यों को जीएसटी के तहत सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
कर संग्रह के बंटवारे में बदलाव की मांग
कोविड-19 संक्रमण के चलते बैठक में शामिल नहीं हो सके देव ने अपने पत्र में कहा, हम 14 प्रतिशत संरक्षित राजस्व प्रावधान को जारी रखने का प्रस्ताव जीएसटी परिषद में रख रहे हैं। यदि संरक्षित राजस्व प्रावधान जारी नहीं रखा जाता है तो केंद्रीकृत जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) से संबंधित 50-50 प्रतिशत के फॉर्मूले को बदलकर एसजीएसटी को 80-70 प्रतिशत और सीजीएसटी को 20-30 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी राजस्व की हिस्सेदारी का मानक नहीं बदला जाता है तो फिर क्षतिपूर्ति व्यवस्था को अगले पांच वर्ष तक बढ़ा दिया जाए। इस समय जीएसटी से एकत्रित राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। उपकर से संग्रह का उपयोग जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए किया जाता है।
सभी फैसले सहमति से लेने चाहिए
केरल के मुख्यमंत्री के एन बालगोपाल ने भी जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को वर्ष 2027 तक बढ़ाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि कमोबेश सभी राज्य इस व्यवस्था को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रमुख सलाहकार अमित मित्रा ने कहा कि जीएसटी परिषद को अपने सभी फैसले सहमति से लेने चाहिए और बहुसंख्यकवाद की किसी भी आशंका को नकार देना चाहिए।