नई दिल्ली। सरकारी कंपनी को लेकर आपके मन में सबसे पहला नाम बीएसएनएल का आता होगा। लेकिन जल्द ही देश की तीन प्रमुख मोबाइल सर्विस कंपनियों में से एक वोडाफोन आइडिया में सरकार सबसे बड़ी हिस्सेदार बन सकती है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने कहा कि भारत सरकार के पास कंपनी में लगभग 36% का स्वामित्व होगा।
वोडाफोन आइडिया के बोर्ड ने सरकार को चुकाए जाने वाले 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है, जो कंपनी में 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा। कंपनी में वोडाफोन ग्रुप पीएलसी की हिस्सेदारी करीब 28.5% और आदित्य बिड़ला ग्रुप की लगभग 17.8% होगी।
कंपनी पर इस समय 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। वोडाफोन आइडिया ने शेयर बाजार को बताया, ‘‘निदेशक मंडल ने 10 जनवरी 2022 को हुई अपनी बैठक में, स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों और एजीआर बकाया से संबंधित कुल ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी है। कंपनी के अनुमानों के मुताबिक इस देनदारी का सकल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) लगभग 16,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जिसकी पुष्टि दूरसंचार विभाग द्वारा की जानी है।’’
वीआईएल ने कहा कि चूंकि कंपनी के शेयरों की औसत कीमत 14 अगस्त 2021 के पार वैल्यू से नीचे थी, इसलिए सरकार को 10 रुपये प्रति शेयर की दर से शेयरों का आवंटन किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर दूरसंचार विभाग की मंजूरी ली जानी है। कंपनी ने बताया कि यदि यह योजना पूरी होती है तो वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी से आसपास हो जाएगी, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 28.5 प्रतिशत (वोडाफोन समूह) और 17.8 प्रतिशत (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी।
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