हाईटेक होंगी देश की 63000 कृषि ऋण समितियां, कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये मंजूर
इस कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य पैक्स की दक्षता बढ़ाने के साथ उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना है।
सरकार ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये के खर्च की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया।
इस कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य पैक्स की दक्षता बढ़ाने के साथ उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना है। इसके तहत पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाने तथा विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पांच साल की अवधि में लगभग 63,000 कार्यरत पैक्स के कंप्यूटरीकरण का प्रस्ताव है। इस परियोजना पर कुल 2,516 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें केंद्र सरकार 1,528 करोड़ रुपये का बोझ वहन करेगी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से 13 करोड़ विशेषकर छोटे और सीमान्त किसानों को फायदा मिलेगा। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और इस क्षेत्र में एक बड़ा सुधार है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस परियोजना में साइबर सुरक्षा और डेटा भंडारण के साथ क्लाउड-आधारित सामान्य सॉफ्टवेयर के विकास समेत पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना शामिल है। इस संबंध में जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि पैक्स देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की तीसरे स्तर की व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाता है। इसमें लगभग 13 करोड़ किसान इसके सदस्य के रूप में शामिल होते हैं और जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। देश में सभी संस्थाओं की तरफ से दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है।
पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सभी पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने और उनके रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा मंच पर लाने तथा एक सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) के तहत रखने का प्रस्ताव रखा गया है।
यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बेहतर बनाने के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केंद्र के रूप में पैक्स की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगी।