सरकारी खजाना भरा, सितंबर में GST कलेक्शन बढ़कर 1.73 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
जीएसटी विभाग की तरफ से 20,458 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है।
माल एवं सेवा कर (GST) का सितंबर महीने में सकल संग्रह सालाना आधार पर 6.5 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.73 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल की समान अवधि में सकल जीएसटी संग्रह 1.63 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं अगस्त, 2024 में जीएसटी संग्रह 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में घरेलू कर राजस्व 5.9 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया।
वहीं माल के आयात से प्राप्त राजस्व आठ प्रतिशत बढ़कर 45,390 करोड़ रुपये हो गया। आलोच्य अवधि में जीएसटी विभाग की तरफ से 20,458 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। रिफंड राशि को समायोजित करने के बाद सितंबर में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.53 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.9 प्रतिशत अधिक है।
जीएसटी मुनाफा रोधी व्यवस्था 1 अप्रैल, 2025 से नहीं रहेगी प्रभावी
जीएसटी मुनाफा-रोधी व्यवस्था एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी नहीं रहेगी। सरकार ने जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने से जुड़े उपबंध को समाप्त करने की तिथि एक अप्रैल, 2025 अधिसूचित की है। सरकार के जीएसटी नीति प्रकोष्ठ ने एक और अधिसूचना में कहा कि साथ ही एक अक्टूबर से मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधानों के तहत सभी लंबित शिकायतों का भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के बजाय जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की प्रधान पीठ निपटान करेगी। ये अधिसूचनाएं जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुरूप हैं। परिषद ने 22 जून को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी-रोधी उपबंध समाप्त करने तथा मुनाफाखोरी-रोधी मामले जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ द्वारा देखे जाने के लिए केंद्रीय जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 171 और धारा 109 में संशोधन करने की सिफारिश की थी।
परिषद ने मुनाफाखोरी-रोधी किसी भी नए आवेदन की प्राप्ति के लिए एक अप्रैल, 2025 की अंतिम तिथि की भी सिफारिश की थी। जीएसटी नीति प्रकोष्ठ की अधिसूचना का मतलब यह है कि उपभोक्ता एक अप्रैल, 2025 से जीएसटी दर में कटौती का लाभ नहीं देने वाली कंपनियों के खिलाफ मुनाफाखोरी के बारे में शिकायत दर्ज नहीं कर पाएंगे। हालांकि, एक अप्रैल, 2025 से पहले दायर की गई शिकायतों को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने तक जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ ऐसे मामलों को देखेगा।