PLI स्कीम में शिकायतों के बाद हरकत में सरकार, 3,400 करोड़ के क्लेम के बदले मिले सिर्फ 2900 करोड़
सरकार ने 2021 में दूरसंचार, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, परिधान और औषधि समेत लगभग 14 क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी
निर्यात बढ़ाने की दिशा में देश में वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि की नियत से शुरू की गई केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) को लेकर बढ़ती शिकायतों के चलते अब केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। अब सरकार ने विभिन्न सेक्टरों में चल रही PLI योजनाओं के परिणाम बेहतर बनाने की नियत से उद्योग जगत से सुझाव मांगे हैं। बता दें कि कंपनियों के क्लेम और सरकार के पेमेंट के बीच अंतर बढ़ रहा है। इसे लेकर कई उद्योग आवाज उठा रहे हैं।
3400 करोड़ के बदले मिले सिर्फ 2900 करोड़
सरकार द्वारा उद्योगों से बातचीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कंपनियां लंबे समय से क्लेम का पैसा नहीं मिलने की शिकायतें कर रही हैं। मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार सरकार ने योजना के अंतर्गत मिले 3,400 करोड़ रुपये के दावों में से मार्च, 2023 तक सिर्फ 2,900 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।
सरकार ने मांगी उद्योगों से सलाह
योजना को लेकर समन्वय कर रहे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने पीएलआई लाभार्थियों से किसी भी प्रक्रियात्मक चुनौतियों या मुद्दों को संबंधित मंत्रालय या विभाग के साथ उठाने का भी आग्रह किया। ताकि उस संबंध में सकारात्मक सुधार लाया जा सके और योजना को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। मंत्रालय की ओर से 27 जून को यहां बुलाई गई एक कार्यशाला में योजना से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।
निर्यात बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है योजना
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार पीएलआई क्षेत्रों में अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा देने और विकास में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय के बयान के अनुसार मंत्री ने पीएलआई योजना की नीतियों, प्रक्रियाओं को आकार देने और उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए उद्योग जगत से अपने विचार देने और मिलकर काम करने को कहा।
14 क्षेत्रों के लिए है PLI योजना
सरकार ने 2021 में दूरसंचार, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, परिधान और औषधि समेत लगभग 14 क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि सरकार ने योजना के अंतर्गत मिले 3,400 करोड़ रुपये के दावों में से मार्च, 2023 तक सिर्फ 2,900 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।