केंद्र को सार्वजनिक उपक्रमों से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 63,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला है। यह संशोधित बजट अनुमान से 26 फीसदी अधिक है। कोल इंडिया, ओएनजीसी, पावरग्रिड और गेल जैसे केंद्रीय उपक्रमों के अच्छे डिविडेंड से कुल प्राप्ति बढ़ी है। एक फरवरी को पेश बजट में 2023-24 के लिए केंद्रीय उपक्रमों से 50,000 करोड़ रुपये की लाभांश प्राप्ति का संशोधित अनुमान रखा गया था। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में वास्तविक लाभांश प्राप्ति करीब 26 प्रतिशत बढ़कर 62,929.27 करोड़ रुपये रही।
किन कंपनियों से कितना मिला पैसा
सरकार को मार्च में ओएनजीसी (2,964 करोड़ रुपये), कोल इंडिया (2,043 करोड़ रुपये), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (2,149 करोड़ रुपये), एनएमडीसी (1,024 करोड़ रुपये), एचएएल (1,054 करोड़ रुपये) और गेल (1,863 करोड़ रुपये) से अच्छी लाभांश राशि की किस्तें प्राप्त हुईं। पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में लाभांश प्राप्ति 59,952.84 करोड़ रुपये थी। उच्च लाभांश वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान केंद्रीय उपक्रमों के मजबूत वित्तीय प्रदर्शन को बताता है।
38 लाख करोड़ रुपये हुई सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी
सार्वजनिक उपक्रमों के भुगतान से खुदरा और संस्थागत शेयरधारकों को भी लाभ हुआ है। इससे निवेशकों की रूचि सार्वजनिक कंपनियों के शेयरों में बढ़ने की उम्मीद है। दीपम के पूंजी पुनर्गठन दिशानिर्देशों के अनुसार, जिन केंद्रीय उपक्रमों के पास कारोबारी उद्देश्यों के लिए अपनी पूंजी के अनुकूलतम तरीके से उपयोग की योजना नहीं है, उन्हें उपलब्ध अधिशेष निधि पर पेशेवर नजर रखनी चाहिए। अत्यधिक नकदी रखने वाले सार्वजनिक उपक्रमों को डिविडेंड का भुगतान करना आवश्यक है। यह निवेशकों को संबंधित कंपनियों के शेयरों में रुचि बनाए रखने में मददगार होगा। केंद्रीय उपक्रमों, बैंकों और बीमा कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले तीन साल में 500 प्रतिशत बढ़कर 58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। साथ ही सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी जनवरी 2021 में 9.5 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढ़कर 38 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
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