भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 10 पीएसयू कंपनियों में आंशिक हिस्सेदारी बेचकर करीब 16,500 करोड़ रुपये (1.98 अरब डॉलर) की कमाई की है। ये जानकारी आधिकारिक डेटा से सामने आई है। हालांकि, ये आंकड़ा सरकार के आंतरिक हिस्सेदारी बेचने के आंकड़े 18,000 करोड़ रुपये से 9 प्रतिशत कम है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में आम चुनाव 2024 का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होने वाला है। इस वजह से केंद्र सरकार ने फिलहाल के लिए अपने निजी करण के उद्देश्य को ठंडे वस्ते में डाल दिया है।
किन कंपनियों में बेची हिस्सेदारी?
पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने किसी भी बड़ी सरकारी कंपनी का विनिवेश नहीं किया था। बल्कि छोटे- छोटे कई सारे लेनदेन किए गए हैं। इसमें ओएफएस आदि शामिल था और कोल इंडिया, रेल विकास निगम लिमिटेड, एसवीजेएन, हुडको, आईआरएफसी , आईआरईडीए और इरकॉन इंटरनेशनल और एनएलसी इंडिया जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार की ओर से पैसे जुटाए गए हैं।
बता दें, यह लगातार चौथे मौका है। जब सरकार अपने विनिवेश के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई है। पिछले एक दशक के शासन में मोदी सरकार केवल दो बार की अपने विनिवेश के लक्ष्य को पूरा कर सकी है। आखिरी बार सरकार ने 2019 में विनिवेश का लक्ष्य हासिल किया था। रिपोर्ट में बताया गया कि इसी कारण से सरकार से चालू वित्त वर्ष से लिए विनिवेश का कोई लक्ष्य नहीं रखा है।
63000 करोड़ का मिल डिविडेंड
सरकारी कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया था। इसका फायदा सरकार को लंभाश के रूप में मिला है। सरकारी डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में पीएसयू से सरकार को रिकॉर्ड 63,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला है।
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