गूगल एंड्रॉयड मोबाइल में अपने वर्चस्व के दुरुपयोग को लेकर लगे आरोप और जुर्माने से राहत के लिए दर-दर भटक रहा है। हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद अब वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा पहुंचा है।
याचिका में दी ये जानकारी
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी के समक्ष दायर अपील पर सुनवाई करने में देरी को आधार बनाते हुए उच्चतम न्यायालय से राहत की गुहार लगाई है। गूगल ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) उसे अंतरिम राहत देने से इनकार करने के परिणामों का आकलन करने में नाकाम रहा है।
गूगल नियम बदलने पर कर सकता है विचार
कंपनी के मुताबिक, ‘‘अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उसे 14-15 वर्षों से कायम यथास्थिति में बदलाव करने होंगे और 19 जनवरी से उसे अपने समूचे कारोबारी मॉडल को भी बदलना होगा।’’ गूगल की इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने वाली है। इसमें उसने सीसीआई के आदेश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार करने के एनसीएलएटी के कदम को चुनौती दी है।
एनसीएलएटी से कोई अंतरिम राहत नहीं
प्रतिस्पर्धा आयोग ने गत वर्ष अक्टूबर में गूगल पर प्रतिस्पर्धा को चोट पहुंचाने के आरोप का दोषी बताते हुए उसपर करीब 2,200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसमें से 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना 97 प्रतिशत मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली एंड्रॉयड प्रणाली के संदर्भ में अपने दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए लगाया गया था। वहीं 936 करोड़ रुपये का जुर्माना प्ले स्टोर से जुड़ी नीतियों को लेकर लगााया गया था। इस आदेश के खिलाफ गूगल ने एनसीएलएटी में अपील की थी, लेकिन वहां से इसे कोई अंतरिम राहत नहीं मिली।
आदेश 19 जनवरी 2023 से प्रभावी होगा
न्यायाधिकरण ने चार जनवरी को सीसीआई के आदेश पर स्थगन देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह अपील आदेश आने के दो महीने बाद 20 दिसंबर को की गई है। हालांकि, गूगल ने इसे नकारते हुए अपनी याचिका में कहा है कि सीसीआई का आदेश 19 जनवरी 2023 से प्रभावी होने वाला है और उसने इसके एक महीने पहले एनसीएलएटी में अपील कर दी थी। उसने कहा है कि अपील के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।
Latest Business News