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Hindi News पैसा बिज़नेस भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, जबरदस्त डिमांड से सर्विस सेक्टर में 2010 के बाद सबसे तेज ग्रोथ

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, जबरदस्त डिमांड से सर्विस सेक्टर में 2010 के बाद सबसे तेज ग्रोथ

सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत भागीदारों ने कहा कि उन्हें इस दौरान अधिक नया कारोबार हासिल हुआ है।

सर्विस सेक्टर- India TV Paisa Image Source : FILE सर्विस सेक्टर

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। भारत में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ जुलाई में 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। एक मासिक सर्वेक्षण में गुरुवार को यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि डिमांड में जबरदस्त सुधार और ग्लोबल बिक्री बढ़ने से जुलाई में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जून के 58.5 से बढ़कर जुलाई में 62.3 पर पहुंच गया। इससे पता चलता है कि उत्पादन में जून, 2010 के बाद सबसे तेज वृद्धि हुई है। 

लगातार 24वें महीने से विस्तार रहा 

सेवा पीएमआई सूचकांक लगातार 24वें महीने 50 से ऊपर बना हुआ है। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘‘सेवा क्षेत्र की जुझारू क्षमता भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जुलाई के पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान काफी उल्लेखनीय रहेगा।’’ सर्वे में शामिल सदस्यों का कहना है कि इस तेजी में मुख्य योगदान मांग में बढ़ोतरी तथा नए ऑर्डर हैं। भारतीय सेवाओं की मांग जुलाई में बढ़कर 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई। 

कंपनियों को तेजी से मिल रहे नए बिजनेस 

सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत भागीदारों ने कहा कि उन्हें इस दौरान अधिक नया कारोबार हासिल हुआ है। लीमा ने कहा, ‘‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिक्री में व्यापक वृद्धि एक स्वागतयोग्य खबर है। विशेषरूप से चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए। कई देशों मसलन बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को कंपनियों का सेवाओं का निर्यात बढ़ा है।’’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर बात की जाए, तो निगरानी वाली कंपनियों की खाद्य, श्रम और परिवहन की लागत बढ़ी है। हालांकि, लागत दबाव के बावजूद कंपनियों ने शुल्क में कम वृद्धि की है क्योंकि वे अपनी मूल्य रणनीति को लेकर सतर्क हैं। 

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