इकोनॉमी के लिये गुड न्यूज, रबी सीजन में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद, शुरू हुई बुआई
मंत्रालय ने रबी सत्र 2024-25 के लिए 164.55 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें 115 लाख टन गेहूं और 18.15 लाख टन दालें शामिल हैं। रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई शुरू हो गई है और दिवाली के बाद इसमें तेजी आएगी।
केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि उसे उर्वरक की खेप आने में देरी के बावजूद रबी सत्र 2024-25 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन होने का भरोसा है। इस उम्मीद की वजह अनुकूल मृदा नमी की स्थिति और जलाशयों में पर्याप्त जल स्तर का होना बताया गया। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण आयात खेप में देरी के बावजूद यूरिया और डाय अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे प्रमुख उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। चौहान ने कहा, ‘‘आयात खेप में देरी हो रही है। हालांकि, उर्वरकों की कोई कमी नहीं है। हमने व्यवस्था की हुई है और रबी सत्र के लिए पर्याप्त आपूर्ति है।’’
रबी की फसलों की बुआई शुरू हुई
मंत्रालय ने रबी सत्र 2024-25 के लिए 164.55 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें 115 लाख टन गेहूं और 18.15 लाख टन दालें शामिल हैं। रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई शुरू हो गई है और दिवाली के बाद इसमें तेजी आएगी। उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कहा कि लाल सागर मार्ग बाधित होने के बाद भारत मोरक्को से दक्षिण अफ्रीका के रास्ते डीएपी शिपमेंट का मार्ग बदल रहा है, जिससे पश्चिमी बंदरगाहों तक आपूर्ति के समय में 21 दिन का इजाफा हो गया है। मिश्रा ने कहा कि भारत रबी सत्र के लिए अपनी 55 लाख टन डीएपी मांग का लगभग 60 प्रतिशत रूस, मोरक्को, सऊदी अरब और चीन से आयात करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने आगामी सत्र को लेकर आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘जलाशयों में जल स्तर, आईएमडी के पूर्वानुमान और मिट्टी की नमी को देखते हुए, इस साल रबी सत्र में रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है।’’
चने की खेती का बढ़े एरिया
पाठक ने जलवायु-अनुकूल और जैव-फोर्टिफाइड बीजों को अपनाने की वकालत की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले साल लगभग 70 प्रतिशत गेहूं की खेती में ऐसी किस्मों का उपयोग किया गया था, जिसने बंपर फसल में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने चने की खेती के तहत क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में उत्पादन कम रहा, जिससे आयात की आवश्यकता पड़ी। अधिकारियों ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में रबी फसलों के तहत औसत क्षेत्र 668 लाख हेक्टेयर था, जिसमें गेहूं का हिस्सा 312 लाख हेक्टेयर था। सरकार ने रोपण को प्रोत्साहित करने के लिए गेहूं और अन्य सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भगीरथ चौधरी के साथ छह राज्य कृषि मंत्रियों ने भाग लिया। अधिकारियों ने किसान डेटा पंजीकरण सहित डिजिटल पहलों पर भी चर्चा की, जिसमें दो राज्यों में वर्तमान में चल रहे फसल सर्वेक्षण अगले साल पूरे देश में लागू होने वाले हैं।