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Global debt crisis : कर्ज के पहाड़ पर बैठी है यह दुनिया! विकासशील देशों का बुरा हाल, ब्याज चुकाने के भी लाले

Global debt crisis : अनुमान है कि वैश्विक कर्ज साल 2024 में 315 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह ग्लोबल जीडीपी का 3 गुना है। वहीं, दुनियाभर में सरकारी कर्ज साल 2000 के मुकाबले 4 गुना ज्यादा हो गया है।

कर्ज के जाल में उलझी...- India TV Paisa Image Source : REUTETRS कर्ज के जाल में उलझी दुनिया

Global debt crisis : अगर यह कहा जाए कि दुनिया में अमीर और ज्यादा अमीर और गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। एक तरह जहां ग्लोबल इकोनॉमी लगातार बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ विकासशील देश बढ़ते कर्ज से जूझ रहे हैं। देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। यूएन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 3.3 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं, जहां कर्ज पर चुकाने वाले ब्याज की रकम शिक्षा या स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च से ज्यादा है। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस का अनुमान है कि वैश्विक कर्ज साल 2024 में 315 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह ग्लोबल जीडीपी का 3 गुना है। वहीं, दुनियाभर में सरकारी कर्ज साल 2000 के मुकाबले 4 गुना ज्यादा हो गया है। 

विकासशील देशों पर 29 लाख करोड़ डॉलर का कर्ज

वैश्विक सरकारी कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। कोविड-19, फूड और एनर्जी की कीमतों में उछाल, क्लाइमेट चेंज, अर्थव्यवस्था में सुस्ती आदि वजहों के चलते ऐसा हुआ है। इसके अलावा अनियमित सरकारी खर्च और खराब आर्थिक प्रबंधन भी एक कारण है।  साल 2023 में विकासशील देशों में सरकारी कर्ज पर कुल ब्याज भुगतान 847 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह 2021 की तलना में 26 फीसदी का उछाल है। विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में सरकारी कर्ज के बढ़ने की दर दोगुनी है। यह 2023 में बढ़कर 29 लाख करोड़ डॉलर (कुल वैश्विक का 30 फीसदी)पर चला गया।

बढ़ रहा डेट टू जीडीपी रेश्यो

अफ्रीका का कर्ज का बोझ उसकी इकोनॉमी से अधिक तेजी से बढ़ रहा है। इससे डेट टू जीडीपी रेश्यो बढ़ रहा है। साल 2013 से 2023 के बीच 60 फीसदी से अधिक डेट टू जीडीपी रेश्यो वाले अफ्रीकन देशों की संख्या 6 से बढ़कर 27 हो गई है। यह अप्रत्याक्षित वैश्विक मुद्दों के चलते है, इससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई और विस्तार प्रभावित हुआ।

IMF की मदद करती है उल्टा असर

द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में अर्जेंटीना के पूर्व वित्त मंत्री के हवाले से कहा गया, 'आईएमएफ की आर्थिक मदद कभी-कभी विपरीत असर करती है। आईएमएफ कर्ज तो देता है, लेकिन उस कर्ज पर ब्याज दर काफी ज्यादा होती है। इससे देशों पर कर्ज का बोझ काफी अधिक बढ़ जाता है।' एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में यूक्रेन, मिस्त्र, अर्जेंटीना, इक्वाडोर और पाकिस्तान जैसे 5 देशों ने सिर्फ सरचार्ज के लिए ही 2 अरब डॉलर का पेमेंट किया। सरचार्ज कर्ज पर लगने वाले ब्याज के ऊपर का भार होता है। इससे कर्ज लेने वाले देशों के लिए कर्ज का ब्याज चुकाना भी एक काफी चुनौतिपूर्ण काम हो गया है।

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