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Hindi News पैसा बिज़नेस इस कंपनी को मिला रेलवे के ‘कवच’ की सप्लाई का ठेका, 6 साल में पूरे रेल नेटवर्क पर लग जाएगा यह सिस्टम

इस कंपनी को मिला रेलवे के ‘कवच’ की सप्लाई का ठेका, 6 साल में पूरे रेल नेटवर्क पर लग जाएगा यह सिस्टम

यह ठेका आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) विनिर्देशों के तहत कवच उपकरणों की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण तथा उसे शुरू करने से जुड़ा है, जिसमें 11 वर्षों के लिए रखरखाव भी शामिल है।

भारतीय रेल- India TV Paisa Image Source : FILE भारतीय रेल

सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी जी जी ट्रोनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को पश्चिम बंगाल में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स से ‘कवच’ उपकरण की सप्लाई और इंस्टालेशन के लिए एक ठेका मिला है। कंपनी की ओर से बुधवार को जारी बयान के अनुसार, जी जी ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड रेलवे के लिए इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा ‘एम्बेडेड सिग्नलिंग सिस्टम’ की डिजाइनिंग, मैन्यूफैक्चरिंग तथा स्थापना में एक्सपर्टीज रखती है। यह ट्रेन को टक्कर से बचाने की प्रणाली भी प्रदान करती है, जिसे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली या ‘कवच’ कहा जाता है।

12 महीने में पूरा करना है काम

बयान में कहा गया, ‘‘कंपनी को पश्चिम बंगाल में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स से ‘कवच’ उपकरण आपूर्ति का ठेका मिला है। यह ठेका आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) विनिर्देशों के तहत कवच उपकरणों की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण तथा उसे शुरू करने से जुड़ा है, जिसमें 11 वर्षों के लिए रखरखाव भी शामिल है।’’ कंपनी ने कहा, इस ठेके का मूल्य 500 करोड़ रुपये से 600 करोड़ रुपये के बीच है। इसे 12 महीने में पूरा किया जाएगा।

6 साल में पूरे रेल नेटवर्क में लग जाएगा कवच

उधर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दो ट्रेनों को टकराने से बचाने के लिए रेलवे का कवच सिस्टम 4.0 छह साल में पूरे रेल नेटवर्क को कवर कर लेगा। पहले इस सिस्टम को लगाने में 14 दिन का वक्त लगता था, जो अब इंजीनियरों और टेक्नीशियन की ट्रेनिंग से घटकर सिर्फ 22 घंटे का हो गया है। एडवांस कवच सिस्टम को भारतीय पैटर्न पर तैयार किया गया है। रेल मंत्री ने बताया कि 10 हजार लोकोमोटिव यानी इंजनों में इस सिस्टम को लगाने के लिए अवॉर्ड भी कर दिया गया है। लोको के अलावा शुरुआत में 15 हजार किलोमीटर रेल रूट पर इस कवच सिस्टम को लगाया जाएगा। इसमें मुंबई से बड़ौदा, दिल्ली से मथुरा-पलवल वाला सेक्शन पूरा हो गया है। एक हजार किलोमीटर से अधिक रेल रूट पर इसे लगा दिया गया है।

(भाषा के इनपुट के साथ)

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