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Hindi News पैसा बिज़नेस GDP आंकड़ों ने सरकार को दी राहत, मार्च तिमाही में 6.1% रही ग्रोथ, तरक्की के मामले चीन को भी पछाड़ा

GDP आंकड़ों ने सरकार को दी राहत, मार्च तिमाही में 6.1% रही ग्रोथ, तरक्की के मामले चीन को भी पछाड़ा

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत थी।

GDP Growth- India TV Paisa Image Source : FILE GDP Growth

आर्थिक मंदी और वैश्विक चुनौतियों के बीच देश के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े आ गए हैं। देश की तरक्की की दर उम्मीद से बेहतर रही है। देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (GDP Q4 Data) में 6.1 प्रतिशत रही है। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत थी। जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में चार प्रतिशत रही थी।

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बीते 5 साल में ग्रोथ रेट 

Image Source : indiatvGDP Growth in last 5 years

तीसरी तिमाही के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन

फाइनेंशियल ईयर 2023 में इकॉनमी पहली तिमाही में 13.1 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.5 फीसदी बढ़ी। वहीें  चौथी तिमाही में विकास की दर 6.1 प्रतिशत रही है। जिसके चलते पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1 प्रतिशत थी। जानकारों ने जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.9 से 5.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। एग्रीकल्चर सेक्टर में मजबूती और डोमेस्टिक डिमांड बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिला है। 

Image Source : fileGDP Growth in 2022-23

अनुमान से बेहतर नतीजे

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी। सकल घरेलू उत्पाद देश की सीमा के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को बताता है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2023 की पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही थी। 

वैश्विक मंदी के बीच भारत उभरता सितारा 

अमेरिका, यूरोप सहित पश्चिम की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में हैं। वहीं दूसरी ओर भारत ग्लोबल इकॉनमी के लिए ब्राइस स्पॉट बनकर उभरा है। यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश जर्मनी मंदी में फंस चुका है जबकि अमेरिका पर पहली बार डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। वर्ल्ड बैंक (World Bank) और आईएमएफ (IMF) जैसी संस्थाओं का कहना है कि भारत में मंदी आने की संभावना न के बराबर है। जीडीपी के आंकड़े इस बात की पुष्टि भी करते दिख रहे हैं। 

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