कोरोना काल में सेमीकंडक्टर संकट की बात सोचकर वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग आज भी कांप जाता है। इसे देखते हुए सरकार ने भारत को दुनिया का सेमीकंडक्टर हब बनाने का मिशन शुरू किया। शुरुआती दौर में ही ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) और भारतीय दिग्गज कंपनी वेदांता (Vedanta Group) ने जॉइंटवेंचर कर दुनिया को चौंका दिया। इस जॉइंटवेंचर को गुजरात में 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र लगाना था। लेकिन भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को सोमवार शाम उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब फॉक्सकॉन ने वेदांता के साथ जॉइंट वेंचर से बाहर निकलने का फैसला कर लिया। लेकिन क्या फॉक्सकॉन के इस झटके से भारत का सेमीकंडक्टर मिशन धूल में मिल जाएगा? इस सवाल का जवाब सरकार की ओर से आया है
सरकार ने दिया ये बयान
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण के संयुक्त उद्यम से फॉक्सकॉन के अलग होने की घोषणा पर सोमवार को कहा कि इसका देश में चिप बनाने के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चंद्रशेखर ने फॉक्सकॉन के ऐलान पर एक ट्वीट में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम से अलग होने की फॉक्सकॉन की घोषणा का भारत के सेमीकंडक्टर विनिर्माण लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।" उन्होंने कहा, "सरकार का यह काम नहीं है कि निजी क्षेत्र की दो कंपनियों ने किस वजह से साझेदारी की या नहीं की। लेकिन सरल अर्थों में इसका मतलब है कि दोनों कंपनियां भारत में अलग-अलग अपनी रणनीतियों पर चलेंगी।"
दोनों कंपनियों को नहीं था अनुभव
चंद्रशेखर ने कहा कि वेदांता और फॉक्सकॉन दोनों का ही भारत में खासा निवेश है और वे रोजगार देने एवं वृद्धि के मामले में मूल्यवान निवेशक हैं। उन्होंने कहा, "यह बात अच्छी तरह पता थी कि दोनों ही कंपनियों के पास पहले से सेमीकंडक्टर का अनुभव या प्रौद्योगिकी नहीं थी। उनसे यह विनिर्माण प्रौद्योगिकी किसी प्रौद्योगिकी साझेदार से लेने की उम्मीद थी। उनके संयुक्त उद्यम ने 28 एनएम चिप के लिए प्रस्ताव दिया था लेकिन वे उसके लिए समुचित प्रौद्योगिकी साझेदार नहीं खोज पाए।"
अब क्या करेगी वेदांता
अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता ने कहा कि वह सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वह भारत के पहले सेमीकंडक्टर संयंत्र की स्थापना के लिए कुछ साझेदारों के संपर्क में है। हालांकि वेदांता ने अपने नए साझेदारों का कोई ब्योरा नहीं दिया। यूरोप की चिप विनिर्माता एसटीमाइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स को इस संयुक्त उद्यम से प्रौद्योगिकी साझेदार के तौर पर जोड़ने के लिए बातचीत चल रही थी लेकिन इस दिशा में कोई सहमति नहीं बन पाई।
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