देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज NSE फिलहाल खबरों में है। मामला शेयरों की उठापटक का नहीं है। बल्कि NSE की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण से जुड़ा है, जो कथित तौर पर एक हिमालयी योगी के कहने पर 20 साल तक अहम फैसले लेती रहीं। यह खुलासा किसी अखबार ने नहीं बल्कि मार्केट रेगुलेटर सेबी ने किया है।
सेबी का कहना है कि हिमालयी योगी के कहने पर चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर का सलाहकार नियुक्ति किया था। मामला सामने लाने के साथ ही सेबी ने रामकृष्ण व अन्य पर जुर्माना भी लगाया है। यह जुर्माना सुब्रमण्यन की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है।
योगी के इशारों पर फैसले लेती थीं रामकृष्ण
चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक NSE की एमडी और सीईओ थीं। जिस हिमालयी योगी की बात यहा हो रही है, चित्रा उन्हें सिरोमणि कहती थीं। रामकृष्ण के अनुसार, एक योगी एक आध्यात्मिक शक्ति हैं और पिछले 20 सालों से व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों में उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। रामकृष्ण का मानना है कि यह अज्ञात व्यक्ति या योगी कथित रूप से एक आध्यात्मिक शक्ति थी, जो अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकती थी।
बड़े फैसलों पर था प्रभाव
सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में कहा है कि योगी ने उन्हें सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के लिए कहा। इस मामले में कार्रवाई करते हुए सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यन के साथ ही NSE और उसके पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर व ऑपरेटिंग ऑफिसर रवि नारायण और अन्य पर भी जुर्माना लगाया है।
याद आ गए चंद्रा स्वामी
चित्रा के सिरोमणि योगी का जिक्र आते ही लोगों को चंद्रा स्वामी की याद आ गई। 90 के दशक में नरसिम्हा राव सरकार में उनका दखल किसी से छिपा नहीं था। लेकिन हद तो तब हो गई जब ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर मार्गरेट थैचर भी तांत्रिक चंद्रास्वामी से इतनी प्रभावित हो गई थीं कि उनके पीछे-पीछे भागने लगी थीं। चंद्रा स्वामी ने थैचर से कहा था कि वे चार साल में पीएम बनेंगी। इस मामले में उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई थी। चंद्रास्वामी को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का करीबी माना जाता था। बताया जाता है कि कुतुब इंस्टीट्यूशन एरिया में जिस जमीन पर उनका आश्रम बना था वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एलॉट की थी। बड़ी-बड़ी डील वो चुटकियों में करा देते थे। फेरा का उल्लंघन, ब्लैकमेल, धोखाधड़ी, आर्म्स डील, इन सभी विवादों से वह जुड़े रहे। राजीव गांधी की हत्या के मामले में भी उनका नाम आया।
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