Budget से पहले गांव से आई इस 'बुरी खबर' ने सरकार की बढ़ाई चिंता, त्योहारों और अच्छी फसल के बावजूद नहीं बढ़ी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग
सरकार के लिए बजट में अब प्रमुख चुनौती बढ़ती महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था में मांग को बरकरार रखने की है। इसके लिए गांवों में उपभोक्ताओं के हाथों में काम की उपलब्धता बढ़ानी होगी।
बजट 2023 पेश होने में अब 1 महीने से भी कम समय रह गया है। सरकार इस समय देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बजट की तैयारी में जुटी है। लेकिन इस बीच ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है। रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) सामान बनाने वाली कंपनियों के मुताबिक बीते दिसंबर महीने में समाप्त तिमाही के दौरान उनके मार्जिन में तो सुधार हुआ है, लेकिन बिक्री में धीमी वृद्धि दर्ज की गई। ऐसा तब है जब खरीफ की अच्छी फसल के बाद त्योहारों में अच्छी मांग की उम्मीद की जा रही थी।
कंपनियों के अनुसार अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति के अधिक रहने के चलते ग्रामीण बाजारों में गिरावट जारी रही। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) और मैरिको ने बताया कि मांग घटी है, लेकिन त्योहारी बिक्री के कारण इसमें कुछ सुधार हुआ। शहरी और प्रीमियम श्रेणियों में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान वृद्धि की रफ्तार बनी रही।
शहरों में बढ़ी लेकिन गांवों में घटी मांग
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के मुताबिक, घरेलू बाजार में त्योहारी सत्र के बाद मांग में नरमी देखने को मिली। गोदरेज समूह की एफएमसीजी इकाई ने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही के बारे में बताया कि इस दौरान भारतीय एफएमसीजी क्षेत्र में कमजोर ग्रामीण खपत और त्योहारी सत्र के बाद मंदी के कारण धीमी वृद्धि देखी गई। इसके बावजूद जीसीपीएल को बिक्री में दो अंकीय वृद्धि की उम्मीद है। मैरिको ने कहा कि समीक्षाधीन तिमाही के दौरान एफएमसीजी क्षेत्र में मांग में कुछ सुधार देखा गया, जो त्योहारी उत्साह और विशिष्ट श्रेणियों में सर्दियों के मौसम की मांग के चलते है।
2023 में कंपनियों को क्या उम्मीद
कंपनी ने कहा, ‘‘शहरी और प्रीमियम श्रेणियों ने वृद्धि की गति को बरकरार रखा, हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति के अधिक रहने के चलते ग्रामीण मांग में सुधार उतना स्पष्ट नहीं था।'' नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट (पूर्व में एडलवाइस सिक्योरिटीज) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भी पुष्टि की है कि ग्रामीण एफएमसीजी बाजार लगातार दबाव में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी तिमाही में ग्रामीण मांग में बिल्कुल भी सुधार नहीं हुआ। महंगाई के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और झारखंड जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों में बारिश की कमी प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।
सरकार के लिए क्या चुनौती
सरकार के लिए बजट में अब प्रमुख चुनौती बढ़ती महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था में मांग को बरकरार रखने की है। इसके लिए गांवों में उपभोक्ताओं के हाथों में काम की उपलब्धता बढ़ानी होगी। इसके साथ ही सरकार को अब रबी के भी अच्छे सीजन की उम्मीद है। यदि खरीफ के बाद रबी का मौसम भी खुशनुमा रहता है तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा सकता है।