एयरटेल की सब्सिडियरी कंपनी पर लगा जुर्माना, इन कंपनियों को भी मिला नोटिस
सूचना के अनुसार यह जुर्माना कंपनी की अनुषंगी टेलीसोनिक नेटवर्क्स पर ‘वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान दावा किए गये इनपुट टैक्स क्रेडिट में कथित अनियमितता के लिए लगाया गया है।
भारती एयरटेल समूह की कंपनी टेलीसोनिक नेटवर्क्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में कथित अनियमितता के लिए जुर्माना लगाया गया है। भारती एयरटेल ने शेयर बाजार दी सूचना में कहा कि बेंगलुरु में सहायक वाणिज्यिक कर आयुक्त (ऑडिट) के कार्यालय ने कंपनी की एक अनुषंगी कंपनी के खिलाफ केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम के तहत एक आदेश पारित किया है।
इसमें 2,19,873 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सूचना के अनुसार यह जुर्माना कंपनी की अनुषंगी टेलीसोनिक नेटवर्क्स पर ‘वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान दावा किए गये इनपुट टैक्स क्रेडिट में कथित अनियमितता के लिए लगाया गया है। कंपनी को यह आदेश 30 मार्च को मिला। कंपनी ने कहा, ‘‘अधिकतम वित्तीय प्रभाव लगाये गये जुर्माने की सीमा तक है। कंपनी आदेश से सहमत नहीं है और इसके लिए उचित कदम उठाएगी।’’
जोमैटो को मिला टैक्स नोटिस
ऑनलाइन ऑर्डर देकर खाना मंगाने की सुविधा देने वाले मंच जोमैटो को कर अधिकारियों से 23.26 करोड़ रुपये की कर मांग का नोटिस मिला है। इसमें ब्याज और जुर्माना शामिल है। कंपनी ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ उपयुक्त प्राधिकार के समक्ष चुनौती देगी। जोमैटो ने बीएसई को दी सूचना में कहा, ‘‘कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सहायक वाणिज्यिक कर आयुक्त (ऑडिट), कर्नाटक से 11,27,23,564 करोड़ रुपये की जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) मांग को लेकर नोटिस मिला है। इस पर ब्याज और जुर्माने के साथ यह 23,26,64,271 रुपये बैठता है।’’ कंपनी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि गुण-दोष के आधार पर हमारा मामला मजबूत है और कंपनी उचित प्राधिकार के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील करेगी।’’
बैंक ऑफ इंडिया को मिला आयकर नोटिस
बैंक ऑफ इंडिया को आयकर विभाग की आकलन इकाई से निर्धारण वर्ष 2016-17 से संबंधित 1,127.72 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस मिला है। बैंक को वर्ष 2016-17 से संबंधित आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 156 के तहत एक डिमांड नोटिस मिला है, जिसमें कुछ अस्वीकृतियां की गई हैं। बैंक ऑफ इंडिया ने कहा, “बैंक निर्धारित समय-सीमा के भीतर उक्त आदेश के खिलाफ आयकर आयुक्त (अपील), नेशनल फेसलेस अपील सेंटर (एनएफएसी) के समक्ष अपील दायर करने की प्रक्रिया में है। अपीलीय प्राधिकारियों की प्राथमिकता/आदेशों को देखते हुए बैंक का मानना है कि उसके पास मामले में अपनी स्थिति को उचित रूप से साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्यात्मक और कानूनी आधार हैं। बैंक को उम्मीद है कि मांग कम हो जाएगी। इस प्रकार, बैंक की वित्तीय, संचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”