GST भरने वालों के लिए वित्त मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम, मिलेगी यह राहत
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की तरफ दिए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय जीएसटी प्राधिकारणों की तरफ से की गई कर मांग के खिलाफ दायर अपील की संख्या जून के अंत तक बढ़कर 14,227 हो गई। वहीं यह मार्च 2021 में 5,499 थी।
जीएसटी भरने वाले देश के लाखों कारोबारियों के लिए अच्छी खबर है। वित्त मंत्रालय ने वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की 31 पीठ अधिसूचित की है। ये पीठ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित की जाएंगी। इस कदम से कर मांगों के 14,000 से अधिक मामलों के त्वरित निपटान का रास्ता साफ होगा। वर्तमान में कर अधिकारियों के फैसले से असंतुष्ट करदाताओं को संबंधित उच्च न्यायालयों का रुख करना पड़ता है। मामले निपटने में लंबा समय लगता है क्योंकि उच्च न्यायालय पहले से ही लंबित मामलों के बोझ से दबे हुए हैं और उनके पास जीएसटी मामलों से निपटने के लिए कोई विशेष पीठ नहीं है।
14 हजार से अधिक मामले लंबित
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय जीएसटी प्राधिकारणों की तरफ से की गयी कर मांग के खिलाफ दायर अपील की संख्या जून के अंत तक 14,227 हो गई, जो मार्च 2021 में 5,499 थी। जीएसटीएटी की राज्य-स्तरीय पीठों की स्थापना से कंपनियों से जुड़े विवादों का तेजी से निपटारा संभव हो पाएगा। अधिसूचना के अनुसार, गुजरात तथा केंद्र शासित प्रदेशों दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव में जीएसटीएटी की दो पीठ होंगी, जबकि गोवा तथा महाराष्ट्र में कुल मिलाकर तीन पीठ स्थापित की जाएंगी। कर्नाटक और राजस्थान में दो-दो पीठ, जबकि उत्तर प्रदेश में तीन पीठ होंगी। पश्चिम बंगाल, सिक्किम तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, पुडुचेरी में कुल मिलाकर दो-दो जीएसटीएटी पीठ होंगी, जबकि केरल तथा लक्षद्वीप में एक पीठ होगी। सात पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा की एक पीठ होगी। अन्य सभी राज्यों में जीएसटीएटी की एक-एक पीठ होगी। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि जीएसटी न्यायाधिकरण कर मामलों को सुलझाने के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि यह कर विवादों के निपटान के लिए एक निष्पक्ष, विशेषज्ञ तथा कुशल मंच प्रदान करते हैं। पहले चरण में सरकार ने 31 पीठ अधिसूचित की हैं।
दूसरे चरण का काम शुरू किया जाएगा
मोहन ने कहा, ‘‘अब, न्यायाधिकरणों के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने, योग्य सदस्यों की नियुक्ति करने और आवश्यक बुनियादी ढांचे और संसाधन उपलब्ध कराने के दूसरे चरण का काम शुरू किया जाएगा।’’ उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि ऐसे न्यायाधिकरणों के ना होने से व्यवसायों को उच्च न्यायालयों का रुख करना पड़ता है जो सामान्य तौर पर एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें काफी पैसे भी खर्च होते हैं। वहीं पहले से ही अत्यधिक बोझ झेल रहे उच्च न्यायालयों पर भी दबाव बढ़ जाता है।