प्लेटफॉर्म टिकट सहित रेलवे की इन सुविधाओं पर नहीं लगेगी GST, निर्मला सीतारमण ने किए कई बड़े ऐलान
नई दिल्ली में आज जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़ी घोषणाएं कीं। उन्होंने रेलवे की कई सेवाओं को जीएसटी के दायरे से मुक्त करने का भी ऐलान किया।
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक के बाद कई बड़ी घोषणाएं की। इसमें उन्होंने भारतीय रेलवे द्वारा जी जाने वाली सेवाओं को जीएसटी से छूट देने की भी घोषणा की। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय रेलवे की प्लेटफॉर्म टिकट, रिटायरिंग रूम, क्लाकरूम सेवाओं, बैटरी चालित कार सेवाओं और वेटिंग रूम जैसी सुविधाएं जीएसटी से मुक्त हैं। ऐसे में अब इन सेवाओं को जीएसटी से छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा परिषद ने शैक्षणिक संस्थानों के बाहर छात्रावास सेवाओं के लिए 20,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति माह तक छूट दी है। उन्होंने कहा कि यह छूट छात्रों या कामकाजी वर्ग के लिए है और कम से कम 90 दिनों तक रहने पर इसका लाभ उठाया जा सकता है।
सरकारी मुकदमों को कम करने के लिए मौद्रिक सीमा तय
वहीं सरकारी मुकदमों को कम करने के लिए जीएसटी परिषद ने विभिन्न अपीलीय प्राधिकरणों के समक्ष कर विभाग द्वारा अपील दायर करने के लिए एक मौद्रिक सीमा तय की है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए 20 लाख रुपये, हाई कोर्ट के लिए एक करोड़ रुपये और सुप्रीम कोर्ट के लिए दो करोड़ रुपये की मौद्रिक सीमा तय करने की सिफारिश की है। यदि मौद्रिक सीमा, जीएसटी परिषद द्वारा तय सीमा से कम है, तो कर प्राधिकरण आमतौर पर अपील नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि परिषद ने यह भी सिफारिश की है कि अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व जमा की अधिकतम राशि सीजीएसटी और एसजीएसटी के लिए 25 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये की जाए।
कार्टन बॉक्स पर जीएसटी घटाकर 12 प्रतिशत करने की सिफारिश
इसके अलावा जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में शनिवार को सभी प्रकार के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई। एक बयान में कहा गया कि हिमाचल प्रदेश लगातार सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी में कमी की मांग कर रहा है और इस कटौती से बागवानों और उद्योग दोनों को लागत बचाने में मदद मिलेगी। हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने राज्य के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से निर्णय लेने के लिए परिषद को धन्यवाद दिया। परिषद ने छोटे और मध्यम करदाताओं के अनुपालन बोझ और शिकायतों को कम करने के लिए कई निर्णय लिए। राज्य के प्रतिनिधिमंडल में आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी यूनुस और अतिरिक्त आयुक्त (जीएसटी) राकेश शर्मा शामिल थे।
केंद्र की मंशा पेट्रोल, डीजल पर जीएसटी लगाने की
निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की मंशा हमेशा से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की रही है और अब राज्यों को एक साथ आकर इसकी दर तय करनी है। उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करने का प्रावधान पहले ही कर दिया है। अब बस राज्यों को एक साथ आकर दर तय करने के लिए चर्चा करनी है। सीतारमण ने कहा, ''जीएसटी का इरादा पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाना था। अब राज्यों को दर तय करनी है। मेरे पूर्ववर्ती (अरुण जेटली) की मंशा बहुत स्पष्ट थी, हम चाहते हैं कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी में आएं।'' सीतारमण ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार की मंशा थी कि कुछ समय बाद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाया जाए। उन्होंने कहा, ''इसे जीएसटी में लाने का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है। अब सिर्फ यह फैसला करना है कि राज्य जीएसटी परिषद में सहमत हों और फिर तय करें कि वे किस दर के लिए तैयार होंगे।'' (इनपुट- भाषा)
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