वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों से डिपोजिट ग्रोथ (जमा वृद्धि) में सुधार लाने को कहा है। वित्त मंत्री सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (सरकारी बैंक) के प्रमुखों के साथ प्रदर्शन समीक्षा बैठक में यह बात कही है। पिछले कुछ महीनों में ऋण वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में 3-4 प्रतिशत कम रही है, जिससे बैंकों के लिए एसेट लायबिलिटी का असंतुलन पैदा हो गया है। भाषा की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री ने बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन के साथ ही पीएम आवास योजना, पीएम सूर्य घर और पीएम विश्वकर्मा योजना सहित सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा की।
इनोवेटिव प्रोडक्ट्स को पेश करने की अपील
खबर के मुताबिक, सूत्रों ने यह भी बताया कि सीतारमण ने जमा वृद्धि, ऋण-जमा अनुपात (सीडी अनुपात) और एसेट लायबिलिटी (परिसंपत्ति गुणवत्ता) का भी जायजा लिया। वित्त मंत्री ने बैंकों के प्रमुखों से मुख्य बैंकिंग कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स को पेश करके जमा वृद्धि की गति बढ़ाने को कहा। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि जमा और कर्ज वृद्धि के बीच असंतुलन है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर्ज देने में वृद्धि अधिक है।
साइबर सुरक्षा और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों से संबंधित चिंताओं पर भी चर्चा
सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को ब्याज दर के मामले में स्वतंत्रता दी है, और इस आजादी का इस्तेमाल करके उन्हें जमा को अधिक आकर्षक बनाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान साइबर सुरक्षा और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों से संबंधित चिंताओं पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी और जानबूझकर चूक करने वालों से संबंधित मुद्दे और राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की प्रगति पर भी चर्चा हुई।
बजट 2024-25 पेश होने के बाद यह पहली समीक्षा बैठक थी। सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में 1.4 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो इससे पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है।
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