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Hindi News पैसा बिज़नेस इस मसाले की खेती करने वाले किसानों को मिला जीएसटी नोटिस, सांसद ने वित्त मंत्री को लिखी चिट्ठी- जानें पूरा मामला

इस मसाले की खेती करने वाले किसानों को मिला जीएसटी नोटिस, सांसद ने वित्त मंत्री को लिखी चिट्ठी- जानें पूरा मामला

किसानों को मिले नोटिस में कहा गया है कि उनके बागान में उगाई गई काली मिर्च की बिक्री जीएसटी के अधीन है और बागान मालिक को जीएसटी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये नोटिस काली मिर्च को सुखाने की प्रक्रिया को लेकर फैली गलतफहमी का नतीजा है।

काली मिर्च किसानों को मिला जीएसटी नोटिस- India TV Paisa Image Source : FREEPIK काली मिर्च किसानों को मिला जीएसटी नोटिस

एक खास मसाले की खेती करने वाले कर्नाटक के कुछ किसानों को जीएसटी विभाग का नोटिस मिला है। इस मामले में संबंधित सांसद ने वित्त मंत्री को लिट्ठी लिखकर किसानों के लिए राहत की मांग की है। लोकसभा सांसद यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखकर काली मिर्च को जीएसटी से दी गई छूट को जारी रखने का अनुरोध किया है। सांसद ने अपने एक्स अकाउंट पर वित्त मंत्री को लिखी गई चिट्ठी की कॉपी शेयर की है।

वित्त मंत्री को भेजी गई चिट्ठी में क्या है

यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने ये चिट्ठी अपने लोकसभा क्षेत्र के कुछ काली मिर्च उत्पादक किसानों को मिले जीएसटी नोटिस के सिलसिले में लिखी है। उन्होंने कहा, “कोडागु, हासन और चिकमंगलूर जिलों के किसानों के महत्वपूर्ण मुद्दे काली मिर्च के लिए जीएसटी छूट पर चर्चा करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। इस दौरान कृषि उपज वर्गीकरण और किसानों एवं निर्यात पर पड़ने वाले संभावित बुरे असर को देखते हुए जीएसटी छूट जारी रखने का अनुरोध किया।“ 

जीएसटी विभाग ने किसानों से क्या कहा है

किसानों को मिले नोटिस में कहा गया है कि उनके बागान में उगाई गई काली मिर्च की बिक्री जीएसटी के अधीन है और बागान मालिक को जीएसटी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये नोटिस काली मिर्च को सुखाने की प्रक्रिया को लेकर फैली गलतफहमी का नतीजा है। 

केरल और तमिलनाडु के किसानों पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका

काली मिर्च उत्पादक किसानों के मुताबिक, सुखाने की प्रक्रिया काली मिर्च की आवश्यक विशेषताओं को मौलिक रूप से नहीं बदलती है। ये मुख्य रूप से संरक्षण की एक तकनीक है। वाडियार ने कहा कि इन उत्पादों पर जीएसटी लगाने से कर्नाटक के कोडागु, हासन और चिकमंगलुरु के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु के उत्पादकों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

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