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Hindi News पैसा बिज़नेस 500 रुपये के नकली नोट 14.6 प्रतिशत बढ़े, 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 के नकली नोट कम हुए

500 रुपये के नकली नोट 14.6 प्रतिशत बढ़े, 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 के नकली नोट कम हुए

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 रुपये के नकली नोटों में क्रमश: 11.6 प्रतिशत, 14.7 प्रतिशत और 27.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

आरबीआई- India TV Paisa Image Source : PTI आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की तुलना में 2022-23 में बैंकिंग प्रणाली द्वारा पकड़े गए 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या 14.6 प्रतिशत बढ़कर 91,110 नोट हो गई। मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक इसी अवधि में सिस्टम द्वारा पकड़े गए 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के नकली नोटों की संख्या 28 प्रतिशत घटकर 9,806 नोट रह गई। हालांकि बैंकिंग क्षेत्र में पकड़े गए नकली भारतीय मुद्रा नोटों की कुल संख्या पिछले वित्तीय वर्ष में 2,30,971 नोटों की तुलना में 2022-23 में घटकर 2,25,769 नोट रह गई। उल्लेखनीय है कि यह 2021-22 में बढ़ गया था।

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में 20 रुपये के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि और 500 रुपये (नए डिजाइन) मूल्यवर्ग में 14.4 प्रतिशत की वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया है। दूसरी ओर, 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 रुपये के नकली नोटों में क्रमश: 11.6 प्रतिशत, 14.7 प्रतिशत और 27.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

सरकारी घाटे व कर्ज में आई कमी 

सामान्य सरकारी घाटा और कर्ज जीडीपी के क्रमश: 9.4 फीसदी और 86.5 फीसदी पर आ गया है, जो 2022-23 में क्रमश: 13.1 फीसदी और 2020-21 में 89.4 फीसदी के चरम स्तर पर था। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022-23 अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कही है। सरकारी वित्त पर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट ने कहा, विश्वसनीय राजकोषीय समेकन के लिए प्रतिबद्ध होने के दौरान, सरकार ने संवर्धित पूंजीगत व्यय के माध्यम से निवेश चक्र में पुनरुद्धार का नेतृत्व किया है, निजी निवेश में क्राउडिंग-इन द्वारा इसके गुणक प्रभावों को पहचाना है और अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता को बढ़ाया है। यह रेखांकित किया गया है कि नीतिगत बफर्स के पुनर्निर्माण और ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राजकोषीय समेकन को बनाए रखने की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि, डिजिटलीकरण पर निरंतर जोर अर्थव्यवस्था के अधिक औपचारिककरण में सहायता कर सकता है और इस तरह उच्च कर आधार, विकासात्मक व्यय के लिए आवश्यक संसाधन पैदा कर सकता है।

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