यूरोपीय देशों का समूह यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association, EFTA) अगर 100 अरब डॉलर की अपनी निवेश प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करेगा तो भारत के पास दोनों पक्षों के बीच व्यापार समझौते के तहत ईएफटीए देश के सामानों पर अस्थायी रूप से सीमा शुल्क रियायतें वापस लेने का विकल्प होगा। भारत और चार देशों के समूह ईएफटीए के बीच सहमति के अनुरूप यह निवेश 15 वर्षों में करना होगा। समझौता लागू होने के पहले 10 वर्षों में 50 अरब डालर और उसके अगले पांच साल में पांच अरब डॉलर का निवेश करना होगा। हालांकि इसमें तीन साल की छूट अवधि का भी प्रावधान है।
एग्रीमेंट के पेपर में मिला ब्योरा
भारत और ईएफटीए के बीच व्यापार समझौते के साथ संलग्न दस्तावेज़ों में यह ब्योरा दिया गया है। भारत और चार देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) ने 10 मार्च को व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में भारत को समूह के सदस्य देशों से 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रतिबद्धता प्राप्त हुई है। ईएफटीए के सदस्यों में आइसलैंड, लीशटेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। निवेश प्रतिबद्धताओं के संबंध में उठाए गए मतभेदों के समाधान के लिए दस्तावेज़ में तीन चरणों वाली सरकार स्तर की परामर्श प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
तीन साल बाद रियायतें रद्द कर देगा
ईएफटीए समूह की वेबसाइट पर इस समझौते से संबंधित दस्तावेज अपलोड किए गए हैं। इसके मुताबिक, अगर परामर्श अवधि के बाद भी भारत की राय है कि ईएफटीए देशों ने अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है तो भारत तीन साल की अतिरिक्त छूट अवधि के बाद रियायतें निलंबित कर सकता है।
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