पाकिस्तान की बरबादी की तारीख अब और नजदीक आ गई है। खाली पड़े खजाने और चरम पर महंगाई के साथ लगभग दीवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद भी आज खत्म हो गई है। आईएमएफ ने पाकिस्तान की लोन मैनेजमेंट स्कीम को खारिज कर दिया है। वैश्विक वित्तीय संस्थान ने पाकिस्तान सरकार से चालू वित्त वर्ष में 335 बिलियन रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी को बंद करने को कहा है। इसी के साथ ही आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार से वहां की बिजली दरें 11 रुपये से 12.50 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ाने को कहा है।
बता दें कि आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच 7 बिलियन डॉलर की विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत नौवें दौर की समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। सर्कुलर ऋण उस स्थिति में दिया जाता है जब कोई देश या संस्था नकदी की समस्याओं का सामना कर रही है और अपने कर्जदाताओं को भुगतान नहीं करती है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए पाकिस्तान की ओर से भेजे संशोधित प्रस्ताव को "अवास्तविक" कहा है जो कुछ गलत धारणाओं के आधार पर बनाया गया है। पाकिस्तान सरकार को बिजली क्षेत्र के घाटे को कम करने के लिए अपनी नीति में बदलाव करना होगा।
पाकिस्तान को लताड़
आईएमएफ ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 675 अरब रुपये के सब्सिडी के आंकड़े की गणना पर भी सवाल उठाया। उसने कहा कि शहबाज सरकार ने एक्सचेंज रेट को गणना करते समय नजरअंदाज किया। आईएमएफ के इस डंडे के बाद अब शहबाज सरकार को अपनी चालबाजी को छोड़कर बिजली के ज्यादा दाम बढ़ाने ही होंगे। शहबाज सरकार की कोशिश है कि वह किसी तरह से बिजली के कम दाम बढ़ाए ताकि चुनाव में उसे जनता का विरोध न झेलना पड़े।
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