देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लगेंगे पंख, इस राज्य में मिला EV बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का बड़ा खजाना
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत लिथियम उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाता है तो इससे इलेक्ट्रिक बैटरियां सस्ती होंगी और अंततः इलेक्ट्रिक कारों की कीमत भी कम हो सकेंगी। भारत सरकार ने 2030 तक ईवी को 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में लिथियम सबसे आवश्यक धातु है।
झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह की धरती से निकलने वाले अभ्रक की चमक कभी पूरी दुनिया तक पहुंचती थी। अब इंटरनेशनल मार्केट में न तो अभ्रक की डिमांड रही और न ही उसकी खदानें बचीं। लेकिन इसी धरती के भीतर खोजे गए बेशकीमती खनिज लिथियम के बड़े भंडार ने देश में बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए अपार संभावनाएं जगाई हैं। नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (एनएमईटी) ने भू-तात्विक सर्वेक्षण में पाया है कि कोडरमा और गिरिडीह में लिथियम के अलावा कई दुर्लभ खनिजों का बड़ा भंडार है। पूरी दुनिया में आने वाले वर्षों में जीरो कार्बन ग्रीन एनर्जी के जिन लक्ष्यों पर काम चल रहा है, उसमें लिथियम को गेमचेंजर मिनरल के तौर पर देखा जा रहा है। लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा मेडिकल टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री, मोबाइल फोन, सौर पैनल, पवन टरबाइन और अन्य रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी में किया जाता है।
कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड तीसरा राज्य
जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने हाल में कर्नाटक में 1600 टन और इसके बाद जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 59 लाख टन लिथियम का भंडार खोजा था। अब झारखंड के कोडरमा, गिरिडीह के अलावा पूर्वी सिंहभूम और हजारीबाग में इस बेशकीमती धातु के उत्खनन की संभावनाओं पर काम चल रहा है। झारखंड के कोडरमा जिले के तिलैया ब्लॉक और उसके आसपास जियोकेमिकल मैपिंग में यहां उपलब्ध लिथियम, सीज़ियम और अन्य तत्वों में हाई कन्स्ट्रेशन (उच्च सांद्रता) पाया गया है। फिलहाल देश का इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग अभी भी अपनी लिथियम आवश्यकताओं के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। अभी हम लिथियम का आयात मुख्य तौर पर चीन से करते हैं। भारत सरकार ने 2030 तक ईवी को 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में लिथियम सबसे आवश्यक धातु है। इसलिए लिथियम के उत्खनन की संभावनाओं पर सरकार का खास तौर पर फोकस है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत होगी कम
ऐसे में कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर के बाद झारखंड में लिथियम के भंडार की खोज को भविष्य की दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि लिथियम का भंडार देश में मिलने से चीन पर निर्भरता खत्म होगी। अभी चीन से भी बैटरी का आयात किया जा रहा है। इससे ईवी की कीमत काफी अधिक है। देश में लिथियम मिलने से बैटरी की कीमत कम होगी। इससे इलेक्ट्रि गाड़ियों के दाम में बड़ी कमी आएगी। आपको बता दें कि इलेक्ट्रि गाड़ियों की कीमत में करीब 40 से 50 फीसदी हिस्सा बैटरी का होता है। बीते जून महीने में पैन एशिया मेटल्स लि० के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक पॉल लॉक ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी और झारखंड में लिथियम खनन के क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की थी। सीएम ने कहा था कि झारखंड सरकार नियमों के अनुसार लिथियम प्रोडक्शन की संभावनाओं पर योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी।
इन जिलों में मिला खदान
जीएसआई के सर्वे के अनुसार झारखंड के कोडरमा के तिलैया ब्लॉक और ढोढ़ाकोला-कुसुमा बेल्ट में लिथियम के अलावा सिजियम, गिरिडीह के गांवा ब्लॉक और कोडरमा के पिहरा बेल्ट में एलआई (ली), सिजियम, आरईई और आरएम जैसे धातुओं का भंडार होने की संभावनाएं हैं। विगत 29 सितंबर को झारखंड सरकार के भूतात्विक पर्षद की उच्चस्तरीय बैठक में राज्य में लिथियम की खोज के परिणामों पर चर्चा की गई। सरकार ने राज्य में लिथियम खनन की संभावनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। निवेशकों ने भी इसे लेकर अपनी रुचि प्रदर्शित की है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत लिथियम उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाता है तो इससे इलेक्ट्रिक बैटरियां सस्ती होंगी और अंततः इलेक्ट्रिक कारों की कीमत भी कम हो सकेंगी।
इनपुट: आईएएनएस