अडाणी समूह द्वारा संचालित धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) ने शनिवार को इस मुद्दे पर पक्षपात के आरोपों का खंडन किया। डीआरपी ने एक बयान में कहा, “निहित स्वार्थी तत्व 20,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षमता वाली इस परियोजना को पटरी से उतारने या इसमें देरी करने का प्रयास कर रहे हैं।” डीआरपी में महाराष्ट्र सरकार भी हितधारक के रूप में है। विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार मुंबई में डीआरपी के लिए मानदंडों में ढील देकर अडाणी समूह को ‘फायदा’ पहुंचा रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया था
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि खबरों के अनुसार मूल रूप से नियमों में ढील देने के बारे में अपनी आपत्तियां व्यक्त करने वाले महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग धारावी के रियल एस्टेट हस्तांतरण विकास अधिकार (टीडीआर) में ‘इंडेक्सेशन’ के प्रावधान को हटाने के लिए अधिसूचना जारी करने के लिए मजबूर किया गया, जिसके चलते मुंबई के सभी बिल्डरों के लिए अपने टीडीआर का पहला 40 प्रतिशत हिस्सा अडाणी से खरीदना अनिवार्य हो गया है।
विवाद पैदा करने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण
डीआरपी ने विवाद पैदा करने के प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इसमें दावा किया गया कि धारावी अधिसूचित क्षेत्र (डीएनए) के भीतर टीडीआर की अनुमति 2018 के सरकारी संकल्प (जीआर) के बाद से दी गई थी, जिसे 2022 के जीआर में संशोधित किया गया था। बयान में कहा गया कि दोनों फैसले 2022 में पुनर्विकास के लिए निविदा जारी होने से पहले हुए थे। बयान में कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार फिलहाल तय प्रक्रिया के तहत इसे केवल अधिसूचित कर रही है।
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