ED ने Xiaomi को भेजा 5,551 करोड़ रुपये का कारण बताओ नोटिस, इन तीन बैंकों का नाम आया सामने
फेमा मामले की जांच पूरी होने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है और जब मामले का निपटान होता है तो आरोपी को उल्लंघन राशि का तीन गुना तक जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।
Show cause Notice to Xiaomi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 5,551 करोड़ रुपये से ज्यादा के विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन मामले में चीनी मोबाइल फोन कंपनी शाओमी, उसके मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और निदेशक समीर बी राव, पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) मनु कुमार जैन और तीन विदेशी बैंकों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। वित्तीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के निर्णायक प्राधिकरण ने फेमा की धारा 16 के अंतर्गत शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, उसके दो अधिकारियों, सिटी बैंक, एचएसबीसी बैंक और डच बैंक एजी को नोटिस भेजे हैं।
आरोप सिद्ध होने पर देना होगा तीन गुना रकम
फेमा मामले की जांच पूरी होने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है और जब मामले का निपटान होता है तो आरोपी को उल्लंघन राशि का तीन गुना तक जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। जांच एजेंसी ने कहा कि शाओमी के साथ जैन और राव को भी यह नोटिस भेज दिया गया है। ईडी ने इससे पहले अवैध धनप्रेषण (विदेश से भेजे गए धन) के मामले में शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खातों में जमा 5,551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए थे। चीनी कंपनी शाओमी (Xiaomi) बीते लंबे समय से स्मार्टफोन भारत में ही बना कर बेच रही है। लेकिन अभी तक अधिकतर पार्ट चीन (China) या अन्य देशों से आते थे, थोड़े बहुत ही पार्ट भारत में तैयार होते थे। लेकिन अब जल्द ही स्थिति बदलने वाली है। शाओमी अब अपने फोन की कीमत के लगभग 50 प्रतिशत के बराबर पार्ट भारत (Made in India) से ही खरीदेगी।
ये है योजना
Xiaomi ने 2025 तक मूल्य के हिसाब से स्मार्टफोन में उपयोग होने वाले उपकरणों का आधा हिस्सा स्थानीय रूप से लेने की योजना बनायी है। शाओमी इंडिया (Xiaomi India) के अध्यक्ष मुरलीकृष्णन बी ने यह घोषणा करते हुए कहा कि कंपनी जल्द ही हेडफोन, ईयरफोन खंड में प्रवेश करने जा रही है। इसका उत्पादन नोएडा में ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (ओईएल) के कारखाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपने स्थानीय रूप से जो उत्पाद खरीदते हैं, उसको बढ़ाना चाहते हैं। पहले से ही गैर-सेमीकंडक्टर BOM (सामग्री के बिल) का 35 प्रतिशत स्थानीय रूप से लिया जा रहा है। हम जब संभव होगा, सेमीकंडक्टर लेने पर भी विचार करेंगे। हम 2025 से स्थानीय स्तर पर मूल्य के हिसाब से कलपुर्जों का 50 प्रतिशत तक स्थानीय स्तर पर लेने की उम्मीद कर रहे हैं।