प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को आरोप लगाया कि एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व मुख्य कारोबारी और कोष प्रबंधक वीरेश जोशी ने एक फ्रंट रनिंग ‘घोटाले’ के तहत दुबई में टर्मिनल रखने वाले ब्रोकरों से ‘रिश्वत’ के बदले में बाजार से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा की है। आपको बता दें कि फ्रंट रनिंग एक अवैध तरीका है, जिससे फंड मैनेजर को आने वाले बड़े ट्रेड के बारे में पहले से पता होता है। वे इस आधार पर वे पहले ऑर्डर करते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं। जांच एजेंसी ने बयान में कहा कि उसने एक्सिस म्यूचुअल फंड के संदर्भ में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जांच के दौरान नौ सितंबर को मुंबई और कोलकाता में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। इसमें कहा गया, “पाउंड, यूरो और दिरहम जैसी विदेशी मुद्राओं के रूप में 12.96 लाख रुपये मूल्य की चल संपत्तियां, विदेशों में अचल संपत्तियों से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, विदेशी बैंक खाते और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए।”
2022 में जोशी पर छापा भी मारा था
आयकर विभाग ने इसी मामले में अगस्त, 2022 में जोशी पर छापा भी मारा था। ईडी की कार्रवाई भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश से शुरू हुई थी। इसमें जोशी और अन्य के खिलाफ 30.56 करोड़ रुपये का गलत लाभ अर्जित करने के लिए ‘फ्रंट रनिंग’ कारोबार का आरोप लगाया गया था। अनैतिक लाभ अर्जित करने के लिए कंपनी की संवेदनशील या अप्रकाशित जानकारी किसी से साझा करना ‘फ्रंट रनिंग’ कारोबार कहलाता है।
निवेशकों को होता है नुकसान
ईडी के अनुसार, इसे अनैतिक और अवैध माना जाता है, क्योंकि यह बाजार को कमजोर करता है और अन्य निवेशकों को नुकसान पहुंचाता है। ईडी के अनुसार, “जोशी कथित तौर पर दुबई में टर्मिनल रखने वाले ब्रोकर से रिश्वत के बदले में संवेदनशील जानकारी साझा कर रहा था, जो उसके निर्देशों पर व्यापार को अंजाम दे सकते थे।’’
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