Economic Survey : इस साल केंद्र सरकार इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं करेगी। यह एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जिसे मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार किया जाता है। इसके बाद लोकसभा में वित्त मंत्री इसे पेश करते हैं। आमतौर पर हर साल 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। यह साल आम चुनावों का साल है। अगर सरकार बदलती है, तो रेगुलर बजट प्रोसेस बाधित हो सकती है। ऐसे में इस बार अंतरिम बजट पेश होगा। चुनावी साल होने के कारण ही इस बार इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, आम चुनावों के बाद जब पूर्ण बजट आएगा, तो उससे पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा। भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था। साल 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे और आम बजट साथ-साथ पेश किये जाते थे।
सरकार लायी है एक आर्थिक रिपोर्ट
इकोनॉमिक सर्वे के बजाए केंद्र सरकार एक आर्थिक रिपोर्ट लेकर आई है। यह रिपोर्ट पिछले 10 वर्षों में भारत की जर्नी पर है। इस रिपोर्ट का नाम ‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ है। इस रिपोर्ट में आने वाले वर्षों में इकोनॉमी के आउटलुक के बारे में भी बताया गया है। यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के कार्यालय द्वारा तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि यह भारत का इकोनॉमिक सर्वे नहीं है।
3 साल में भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी
‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ रिपोर्ट में कहा गया है कि देश अगले 3 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। साथ ही साल 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। पिछले इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6 से 6.8 फीसदी के बीच आंकी गई थी। यह अनुमान वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनैतिक हालातों को देखते हुए था। सर्वे का रियल जीडीपी ग्रोथ के लिए बेसलाइन अनुमान 6.5 फीसदी था। वहीं, इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8 से 8.5 फीसदी लगाया गया था।
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