Durga Puja 2022: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में हर साल दुर्गा पूजा के समय भव्य सजावट के साथ-साथ एक बड़ा आर्थिक अवसर भी उत्पन्न होता है। इस दौरान कम से कम 40,000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है और लगभग तीन लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। राज्य में कुल 40,000 सामुदायिक पूजा आयोजन होते हैं। इनमें से 3,000 आयोजन अकेले कोलकाता में होते हैं।
40,000 करोड़ रुपये का लेनदेन
इन आयोजनों से राज्य में करीब तीन-चार माह आर्थिक गतिविधियां काफी तेज रहती हैं। करीब 400 सामुदायिक पूजाओं के संगठन फोरम फॉर दुर्गोत्सव (एफएफडी) के चेयरमैन पार्थो घोष ने कहा, ‘‘राज्य में पूजा आयोजनों के दौरान कम-से-कम 40,000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है। वहीं इस दौरान राज्यभर में कम से कम दो-तीन लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होते हैं, क्योंकि उत्सव की गतिविधियां तीन-चार महीने पहले शुरू हो जाती हैं।’’ पार्थो घोष 52 वर्षों से सामुदायिक पूजा से जुड़े हुए हैं और दक्षिण कोलकाता में शिव मंदिर सरबजनिन दुर्गा पूजा के आयोजक हैं।
पूजा समितियां अर्थव्यवस्था के सूत्रधार
उन्होंने कहा कि पूजा समितियां सूक्ष्म अर्थव्यवस्था के सूत्रधार के रूप में कार्य करती हैं। दूर्गा पूजा के अवसर पर उत्सव में विभिन्न क्षेत्रों मसलन पंडाल बनाने वाले, मूर्ति बनाने वाले, बिजली क्षेत्र से जुड़े लोग, सुरक्षा गार्ड, पुजारी, ढाकी, मूर्ति परिवहन से जुड़े मजदूर और ‘भोग’ एवं खानपान की व्यवस्था से जुड़े लोग शामिल होते हैं । घोष ने कहा, ‘‘हम आम जनता और अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।’’ वहीं एफएफडी की अध्यक्ष काजल सरकार ने कहा, उत्सव के दौरान न केवल मुख्य दुर्गा पूजा गतिविधियों बल्कि फैशन, वस्त्र, जूते, सौंदर्य प्रसाधन और खुदरा क्षेत्रों को भी लोगों की खरीद-फरोख्त से बढ़ावा मिलता है। जबकि साहित्य एवं प्रकाशन, यात्रा, होटल, रेस्तरां और फिल्म तथा मनोरंजन व्यवसाय में भी इस दौरान बिक्री में उछाल आता है।
50,000 करोड़ रुपये तक का लेन-देन होने का अनुमान
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल त्योहार से करीब 50,000 करोड़ रुपये तक का लेन-देन होने का अनुमान है।’’ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 40,000 पूजाओं में से प्रत्येक के लिए 60,000 रुपये के अनुदान को लेकर सियासी घमासान के बीच राज्य सरकार का मानना है कि यह सहायता ‘बरोरी (समुदायिक) पूजा के लिए मददगार है। अर्थशास्त्री देबनारायण सरकार ने कहा कि दुर्गा पूजा एक उपभोग आधारित गतिविधि है। इसका राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर कई गुना प्रभाव पड़ता है।
राज्य की अर्थव्यवस्था में दुर्गा पूजा का योगदान अहम
वर्ष 2013 में एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक, दुर्गा पूजा उद्योग का आकार 25,000 करोड़ रुपये था। इसके लगभग 35 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान था। इस हिसाब से पूजा उद्योग को अब 70,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाना चाहिए। अर्थशास्त्री ने कहा कि हमें पूजा अर्थव्यवस्था के मूल्य का आकलन करने के लिए एक उचित अध्ययन की आवश्यकता है। प्रेजिडेंसी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर सरकार ने बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था में दुर्गा पूजा का योगदान ब्राजील के शहर की अर्थव्यवस्था में रियो डि जनेरियो कार्निवल और जापान में चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल के योगदान के बराबर या उससे भी बड़ा है।
राज्य के जीडीपी में 2.58 प्रतिशत योगदान
ब्रिटिश काउंसिल ने दुर्गा पूजा 2019 के का अध्ययन किया था, जिसमें पता चला कि दुर्गा पूजा राज्य के जीडीपी में 2.58 प्रतिशत योगदान है। पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री शशि पांजा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस साल पूजा अर्थव्यवस्था का आकार ब्रिटिश काउंसिल के अनुमान से कहीं अधिक है।
Latest Business News