फिलहाल मत लगाइये EMI घटने की उम्मीद! रिजर्व बैंक की राहत के बावजूद इस साल कर्ज सस्ता होने की संभावना नहीं
जानकारों को उम्मीद है कि रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का सिलसिला दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा तक जारी रहेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कल घोषित मौद्रिक नीति में लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दरों को स्थिर रख राहत दी हो, लेकिन अभी भी आपको महंगे कर्ज की मार झेलनी पड़ सकती है। मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर ने जो आर्थिक परिदृष्य की भविष्यवाणी की है उसे देखकर जल्द ब्याज दरें घटने की उम्मीद नहीं है। रेपो रेट में लगातार दूसरी बार बदलाव नहीं करने के बावजूद विश्लेशकों का मानना है कि मुद्रास्फीति पर केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में कटौती की संभावना नहीं है।
अगले साल फरवरी में हो सकती है कटौती
विश्लेषकों के अनुसार फिलहाल ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। जानकारों को उम्मीद है कि रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का सिलसिला दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा तक जारी रहेगा। उन्होंने रेपो दर में पहली गिरावट फरवरी, 2024 की समीक्षा बैठक में होने की उम्मीद जताई है। एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, “जहां आरबीआई गवर्नर वृद्धि को लेकर उत्साहित हैं और मुद्रास्फीति पर कम हुए दबाव को समझते हैं वहीं वह मुद्रास्फीति के भविष्य के बारे में अधिक सतर्क भी हैं। वह मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के करीब रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
एफडी की दरों में बढ़ोत्तरी का दौर खत्म
क्रिसिल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने भी कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष में दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा और केवल 2024 की मार्च तिमाही में कटौती शुरू करेगा। यूबीएस इंडिया की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन को उम्मीद है कि आरबीआई फरवरी, 2024 की बैठक में पहली बार दर में कटौती करेगा। इससे पहले वह दिसंबर, 2023 की समीक्षा में ऐसा होने की उम्मीद कर रही थीं।
बीते एक साल में 2.5% बढ़ी है रेपो रेट
पिछले साल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच रिजर्व बैंक ने करीब 2 साल के ब्रेक के बाद अचानक रेपो रेट में बदलाव शुरू किया। तब से पिछले एक साल में देश में कर्ज (Loan) लगातार महंगा हो रहा है। बता दें कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट को 2.5 फीसदी बढ़ा दिया था। जिसका असर घर और कार के कर्ज पर हुआ है। कर्ज महंगा होने से EMI का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। पिछले साल तक करीब 7 फीसदी के आसपास मिल रहा होम लोन (Home Loan) और कार लोन (Car Loan) दहाई के अंकों में पहुंच गया। वहीं पर्सनल लोन (Personal Loan) सबकी ईएमआई (EMI) लगातार बढ़ रही है। हालांकि आम लोगों को फिक्स डिपॉजिट की बढ़ती दरों के रूप में फायदा भी मिला है।