Free train rides: भारत क्या किसी भी देश में ट्रेन में सफर करना है तो आपको टिकेट लेना ही पड़ेगा। हालांकि भारत में लाखों लोग आज भी बिना टिकेट के रोज यात्रा करते हैं। पर यही लोग जब टिकेट चेकर द्वारा पकड़ लिए जाते हैं तो इन्हें अच्छा खासा फाइन देना पड़ता है, लेकिन कैसा हो की आप बिना टिकट यात्रा भी कर सकें और आपसे कोई टिकट चेक करने भी ना आए।
पंजाब से हिमाचल पहुंचाती है ये फ्री ट्रेन
1978 में जब हिमाचल के भाखड़ा में डैम यानी बांध बनने की तैयारी हुई तो ये भी तय किया गया कि यहां से वहां मजदूरों को लाने ले जाने के लिए रेलवे रूट तैयार किया जाए। विश्व का सबसे ऊंचा स्ट्रेट-ग्रेविटी डैम 1963 में पूरा किया गया। इसके बाद ग्रामीणों की जरूरत को देखते हुए इस लाइन को बंद न करके फ्री में चलाना शुरु कर दिया गया। हालांकि ये ट्रेन प्रति ट्रिप में 20 से 30 लीटर डीजल की खपत करती है लेकिन फिर भी, गांव वालों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस ट्रेन को फ्री में ही चलाया गया।
उठ चुकी है किराया लगाने की मांग
दरअसल इस ट्रेन का इंजन पहले भाप से चला करता था। फिर अमेरिका से 3 इंजन मंगवाये गए और इसे अपडेट करके डीजल में तब्दील कर दिया गया। लेकिन 2011 में पाया गया कि इस फ्री सर्विस को अब बंद कर देना चाहिए क्योंकि इसमें अच्छी खासी डीजल की लागत लगती थी। लेकिन फिर सरकार ने तय किया कि नहीं, ये ट्रेन रेवेन्यू कमाने का जरिया नहीं बल्कि भारतीय हेरिटेज है।
इतनी दूरी के लिए करते हैं रोज इतने लोग यात्रा
इस ट्रेन की एक तरफ से दूसरी तरफ की दूरी यूं तो बस 13 किलोमीटर ही है। लेकिन ये 13 किलोमीटर उन स्टूडेंट्स, लेबर्स, किसानों, महिलाओं या दूध वालों के लिए बहुत मायने रखते हैं जो रोज इस ट्रेन के भरोसे ही पंजाब से हिमाचल की दूरी तय करते हैं। इस ट्रेन में रोज 500-800 यात्री सफर करते हैं। पहले इस ट्रेन में 10 कोच हुआ करते थे लेकिन अब इसमें मात्र 3 कोच ही लगाए जाते हैं।
पुरानी लकड़ी से बने हैं कोच
इस ट्रेन के तीनों कोच पुरानी लकड़ी से बने हैं। इसमें आम ट्रेन की बजाए मेट्रो ट्रेन जैसा सिटिंग सिस्टम है। यानी खिड़की से लगी हुई बडी-बडी बेंच बनी हुई हैं जिनपर बैठकर लोग ये 13 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
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