बैंकिंग ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के दो तरीके होते हैं। पहला बैंक पासबुक में दर्ज ट्रेडिशनल प्रिंटिंग रिकॉर्ड और दूसरा डिजिटल बैंक पासबुक। मौजूदा दौर में ज्यादातर लोग अपनी बैंकिंग एक्टिविटी का पूरा लेखा-जोखा इसी डिजिटल बैंक पासबुक के जरिए देखते हैं। आज हम आपको इसके फायदों से लेकर ट्रांजैक्शन अपडेट के समय होने वाली गलतियों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्या होती है डिजिटल बैंक पासबुक?
पारंपरिक बैंक पासबुक की तुलना में एक डिजिटल पासबुक अपनी ट्रांजैक्शन के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का आसान और सुविधाजनक तरीका है। इसमें पासुबक अपडेट करने के लिए बार-बार बैंक जाने का झंझट भी नहीं रहता है। अपनी डिजिटल पासबुक में आप सप्ताह, महीने या साल में की हुई ट्रासैक्शन का रिकॉर्ड डेट-टू-डेट देख सकते हैं।
डिजिटल पासबुक में लेन-देन मैन्युअली प्रोसेस्ड नहीं होता है। ट्रांजैक्शन सफल होने के बाद यह बैंक पासबुक ऑटोमेटिकली अपडेट हो जाती है। इसे बैंक जाकर अपडेट कराने की आवश्यकता नहीं होती है। इस पासबुक में सभी लेन-देन का विस्तृत विवरण दिया होता है। यानी आप तारीख के साथ-साथ प्रत्येक ट्रांसैक्शन का संक्षिप्त विवरण भी देख सकते हैं।
डिजिटल बैंक पासबुक के फायदे
एक डिजिटल बैंक पासबुक के कई फायदे होते हैं। इसके जरिए आप अपने बैंक-बैलेंस की एक्टिविटी को ट्रैक कर सकते हैं। पासबुक में ट्रांजैक्शन हिस्ट्री आपके कुल खर्च और बचत के बीच के अंतर को दर्शाती है। उनके बीच का अंतर आपको भविष्य की योजना बनाने में मदद करता है।
इसके अलावा, डिजिटल बैंक पासबुक में शामिल फाइनेंशियल स्टेटमेंट को यूजर व्यक्ति या संस्था के पास सबमिट कर सकता है। वेरीफिकेशन या सैलरी डिपॉजिट के उद्देश्य से इसे हम्यूमन रिसोर्सेज के पास सबमिट किया जा सकता है।
ये गलतियां न करें नजरअंदाज
1- यदि आपको डिजिटल बैंक पासबुक में अपडेट के समय कोई गलत एंट्री या जानकारी दिख रही है तो इसकी सूचना फौरन अपने बैंक को दें। वैसे तो इसकी संभावनाएं बहुत कम होती हैं, लेकिन ऐसी संदिग्ध एंट्री के चलते बैंक आपके खाते को अनिश्चितकाल के लिए डिएक्टीवेट कर सकता है।
2- अगर आपकी डिजिटल पासबुक में एक ही ट्रांजैक्शन को दो बार मेंशन किया गया है तो तुरंत सावधान हो जाइए। इसमें ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि क्या आपके अकाउंट से संबंधित ट्रांजैक्शन को दो बार डेबिट किया गया है या नहीं।
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