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स्पाइसजेट और केएएल एयरवेज में रार, कलानिधि मारन मांगेंगे ₹1,323 करोड़ का हर्जाना, जानें क्या है मामला

कलानिधि मारन दोनों पक्षों के बीच जारी विवाद मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के कुछ दिनों पहले के आदेश को चुनौती देंगे। मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज ने अपने कानूनी सलाहकार से परामर्श के बाद फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।

 यह विवाद स्पाइसजेट के विश्वास हनन के कारण उत्पन्न हुआ।- India TV Paisa Image Source : REUTERS यह विवाद स्पाइसजेट के विश्वास हनन के कारण उत्पन्न हुआ।

स्पाइसजेट और कलानिधि मारन के केएएल एयरवेज के बीच विवाद जारी है। केएएल एयरवेज के ओनर कलानिधि मारन हैं। कलानिधि मारन ने सोमवार को कहा कि वे स्पाइसजेट और उसके प्रमुख अजय सिंह से 1,323 करोड़ रुपये से ज्यादा का हर्जाना मांगेंगे। साथ ही दोनों पक्षों के बीच जारी विवाद मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के कुछ दिनों पहले के आदेश को चुनौती देंगे। भाषा की खबर के मुताबिक, अदालत की खंडपीठ ने 17 मई को एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। आदेश में मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले  को बरकरार रखा गया था, जिसमें स्पाइसजेट और उसके प्रमोटर अजय सिंह को ब्याज के साथ 579 करोड़ रुपये मारन को वापस करने के लिए कहा गया था।

कोर्ट में चल रहा मामला

खबर के मुताबिक, पीठ ने 31 जुलाई, 2023 को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली सिंह और स्पाइसजेट की अपील को स्वीकार कर लिया और मध्यस्थता न्यायाधिकरण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नये सिरे से विचार करने के लिए मामले को संबंधित अदालत में वापस भेज दिया। इस संदर्भ में, मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज ने अपने कानूनी सलाहकार से परामर्श के बाद फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है। केएएल एयरवेज और मारन का मानना ​​है कि उपरोक्त फैसले में खामियां हैं और आगे इसपर जांच की जरूरत है।

ब्रिटेन की एफटीआई कंसल्टिंग एलएलपी का आकलन

 केएएल एयरवेज ने सोमवार को बयान में कहा वे 1,323 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना भी मांग रहे हैं। इसका निर्धारण ब्रिटेन की एफटीआई कंसल्टिंग एलएलपी ने किया है। यह करार के उल्लंघन से होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए चर्चित कंपनी है। बयान के मुताबिक, नुकसान का दावा केएएल एयरवेज और मारन ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया था। यह हमेशा से न्याय से जुड़ा अभिन्न हिस्सा बना हुआ है।

बयान में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती और हर्जाने के दावे दोनों को आगे बढ़ाकर मामले के उचित और न्यायसंगत समाधान की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि यह विवाद स्पाइसजेट के विश्वास हनन के कारण उत्पन्न हुआ और इसने एक दशक से अधिक समय तक केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन दोनों के लिए समस्या पैदा की है।

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