Disinvestment: एक और सरकारी कंपनी को बेचने की तैयारी पूरी, सितंबर तक वित्तीय बोलियां मंगवाई जाएंगी
निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने दिसंबर, 2020 में कंपनी में सरकार की समूची 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे।
Disinvestment: सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) की बिक्री के लिए संभवत: सितंबर तक वित्तीय बोलियां आमंत्रित करेगी। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वित्तीय बोलियां मंगाई जाएंगी। रणनीतिक बिक्री प्रक्रिया के तहत सरकार शिपिंग हाउस और प्रशिक्षण संस्थान सहित एससीआई की कुछ गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग कर रही है। अधिकारी ने कहा, गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया काफी समय लेती है। हम तीन-चार माह में वित्तीय बोलियां मंगाने की स्थिति में होंगे। शिपिंग कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल की पिछले सप्ताह हुई बैठक में कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लैंड एंड एसेट्स लि.(एससीआईएलएएल) को स्थानांतरित करने की अद्यतन योजना को मंजूरी दी गई। इनमें मुंबई का शिपिंग हाउस और पवई का मैरिटाइम ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी शामिल है।
प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का निर्देश
एससीआई के बही-खाते के अनुसार, उसकी गैर-प्रमुख संपत्तियों का मूल्य 31 मार्च, 2022 तक 2,392 करोड़ रुपये था। एससीआई के निदेशक मंडल ने कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की योजना को पिछले साल अगस्त में मंजूरी दी थी। उसके बाद नवंबर, 2021 में एससीआईएलएएल का गठन किया गया था। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल, 2022 में एससीआई को गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने को कहा है। पिछले साल मार्च में सरकार को शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण के लिए कई बोलियां मिली थीं।
निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद
निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने दिसंबर, 2020 में कंपनी में सरकार की समूची 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे। हिस्सेदारी बिक्री के साथ ही कंपनी का प्रबंधन भी स्थानांतरित किया जाना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धान्तिक मंजूरी दी थी। शिपिंग कॉरपोरेशन का निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। सरकार ने 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।