इस वर्ष फरवरी में एयर इंडिया की दुबई-दिल्ली उड़ान के दौरान एक पायलट के महिला मित्र को कॉकपिट में जाने की अनुमति देने की घटना की जांच कर रहे नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयरलाइन को जांच पूरी होने तक उस पूरे परिचालक दल से सेवाएं नहीं लेने का निर्देश दिया है। यह घटना 27 फरवरी को हुई थी और दुबई-दिल्ली उड़ान के चालक दल के एक सदस्य ने डीजीसीए से शिकायत की थी।
जांच पूरी होने तक सेवा निलंबित रखी जाएगी
डीजीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया इस मामले में केबिन क्रू की कोई भूमिका नहीं दिख रही है लेकिन जांच पूरी होने तक विमान के पूरे परिचालक दल की सेवा निलंबित रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि संबंधित पायलट को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। जब तक इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक पायलट की सेवाएं भी रद्द रहेंगी।
रतन टाटा के पास पहुंचे पायलट
एयरलाइन एयर इंडिया के पायलटों ने वेतन ढांचे में बदलाव के प्रबंधन के फैसले के बाद इसके समाधान के लिए रतन टाटा से दखल का आग्रह किया है। एयर इंडिया के 1,500 से ज्यादा पायलटों के हस्ताक्षर वाली एक याचिका में आरोप लगाया गया कि ‘मौजूदा मानव संसाधन विभाग पायलटों की चिंताओं को नहीं सुन रहा है।’ एयर इंडिया ने अपने पायलटों और चालक दल के सदस्यों के लिए 17 अप्रैल को संशोधित मुआवजा संरचना पेश की थी, जिसे दो पायलट संघों- भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) और इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) ने खारिज कर दिया था। दोनों संघों का कहना है कि विमानन कंपनी ने श्रम प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है और नए अनुबंध कराने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया गया है। दोनों संघों ने अपने सदस्यों को भी संशोधित अनुबंध और वेतन ढांचे पर हस्ताक्षर नहीं करने या इन्हें स्वीकार नहीं करने को कहा है।
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