नई दिल्ली: डेलॉयट ने अडानी ग्रुप की बंदरगाह कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) की ऑडिटिंग का कामकाज छोड़ दिया, जिसके बाद ग्रुप ने नया ऑडिटर नियुक्त किया है। ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट में चिह्नित कुछ लेनदेन पर ‘डेलॉयट’के चिंता जताने के कुछ हफ्ते बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने डेलॉयट के कामकाज छोड़ने और ‘एम.एस.के.ए. एंड एसोसिएट्स’ की नए ऑडिटर के तौर पर नियुक्ति की पुष्टि की है।
2017 से APSEZ की ऑडिटर थी डेलॉयट
बता दें कि डेलॉयट 2017 से APSEZ की ऑडिटर थी। जुलाई 2022 में इसे 5 और साल का कार्यकाल दिया गया था। APSEZ ने एक बयान में कहा, 'APSEZ मैनेजमेंट और इसकी ऑडिट समिति के साथ डेलॉयट की हालिया बैठक में, डेलॉयट ने अन्य सूचीबद्ध अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों के ऑडिटर के रूप में व्यापक ऑडिट भूमिका कटौती का संकेत दिया। ऑडिट समिति का विचार है कि ऑडिट कामकाज छोड़ने के लिए डेलॉयट ने जो कारण बताए हैं, वे ठोस या पर्याप्त नहीं हैं।' कंपनी ने कहा कि डेलॉइट ग्रुप की सभी कंपनियों के ऑडिट कार्य चाहता था और समूह के निदेशकों ने उस मांग को अस्वीकार कर दिया था, इसलिए उसने कामकाज छोड़ दिया।
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों को बताया था आधारहीन
हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडाणी समूह पर धोखाधड़ी और शेयरों में गड़बड़ी के आरोप लगाये थे। अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को आधारहीन बताया था। डेलॉयट का कहना था कि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों की जांच स्वतंत्र बाहरी एजेंसी से कराना जरूरी नहीं समझा। इसका कारण उनका अपना आकलन तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की जारी जांच है। कंपनी ने अडानी पोर्ट्स के वित्तीय ब्योरे में कहा था, ‘समूह की तरफ से किया गया मूल्यांकन हमारे ऑडिट के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त उचित साक्ष्य उपलब्ध नहीं करता है।’
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