ठेकेदारों ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को परेशानी में डाल दिया है। ठेकेदार द्वारा किए गए घटिया क्वालिटी के काम की वजह से डीएमआरसी को वसूली में 15.54 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ रहा है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सोमवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में यह बात कही। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सीएजी ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा मरम्मत लागत और अन्य आकस्मिक खर्चों के रूप में बकाया 15.54 करोड़ रुपये वसूलने में विफल रहने पर चिंता जताई है।
दूसरे ठेकेदार के जरिये मरम्मत कार्य कराया
खबर के मुताबिक, कैग ने रिपोर्ट में कहा कि ठेकेदार द्वारा निर्माण की खराब गुणवत्ता और दोष दायित्व अवधि के भीतर खराबियों को दूर करने में ठेकेदार की अनिच्छा के चलते डीएमआरसी ने 11.85 करोड़ रुपये की लागत से दूसरे ठेकेदार के जरिये मरम्मत कार्य (परामर्श कार्य सहित) कराया। मरम्मत लागत के अलावा, डीएमआरसी को आवंटियों को वैकल्पिक आवास में शिफ्ट करने और लीज चार्ज, ब्रोकरेज आदि के भुगतान के कारण 7.81 करोड़ रुपये का आकस्मिक खर्च भी उठाना पड़ा।
सिर्फ 4.12 करोड़ रुपये ही वसूल कर सका
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, डीएमआरसी अनुबंध में प्रदान की गई मध्यस्थता प्रक्रिया के विपरीत सुलह प्रक्रिया के माध्यम से ठेकेदार से खराब गुणवत्ता वाले काम के कारण 19.66 करोड़ रुपये के खर्च के मुकाबले सिर्फ 4.12 करोड़ रुपये ही वसूल कर सका।
नए भूमिगत गलियारे विकसित कर रहा डीएमआरसी
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अपने चौथे चरण के विस्तार के तहत 40 किलोमीटर से अधिक नए भूमिगत गलियारे विकसित कर रहा है, जो पांच अलग-अलग गलियारों में विकसित की जा रही कुल लाइनों का लगभग 50 प्रतिशत है। यह चौथे चरण में कुल 27 भूमिगत स्टेशनों का निर्माण कर रहा है। डीएमआरसी ने जनकपुरी पश्चिम से कृष्णा पार्क तक लगभग दो किलोमीटर का एक छोटा भूमिगत खंड पहले ही पूरा कर लिया है। यह मैजेंटा लाइन का विस्तार है।
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