Economic Crisis:पाकिस्तान और तुर्किए (पूर्व में तुर्की) की दोस्ती तो जग जाहिर है। भारत का कश्मीर मामला हो या फिर कोई धार्मिक उन्माद, तुर्किए हमेशा पाकिस्तान के सुर से सुर मिलाकर भारत के खिलाफ खड़ा दिखाई देता है। पाकिस्तान के खस्ताहाल आर्थिक हालात तो जग जाहिर हैं, वहीं अब पाकिस्तान का यह दोस्त भी इसी राहत बढ़ रहा है।
78 प्रतिशत महंगाई
तुर्किए में जून महीने के दौरान वार्षिक मुद्रास्फीति 78.62 फीसदी पर पहुंच गई जो 1998 के बाद से मुद्रास्फीति की सर्वाधिक दर है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े में यह कहा गया। तुर्की के सांख्यिकी संस्थान तुर्कस्टेट ने मासिक आंकड़े जारी किए जिनमें पता चला कि आजीविका का संकट यहां पर गहराता जा रहा है। उपभोक्ता मूल्य मासिक आधार पर बढ़कर 4.95 फीसदी हो गया।
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एर्दोआन की सनक का मारा तुर्किए
यूं तो अनेक देशों में उपभोक्ता मूल्य बढ़ता जा रहा है लेकिन आलोचकों ने तुर्की की समस्याओं के लिए राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। तुर्की के केंद्रीय बैंक ने सितंबर के बाद से दरों में पांच फीसदी अंकों की कटौती की है। तुर्की की मुद्रा के मूल्य में भी पिछले वर्ष डॉलर के मुकाबले 44 फीसदी की गिरावट आई है।
Pakistan का व्यापार घाटा 48.66 अरब डॉलर
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नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान का इस वित्त वर्ष व्यापार घाटा बढ़कर 48.66 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह एक साल पहले 30.96 अरब डॉलर था। यह बीते एक साल की तुलना में 57% अधिक है। जो अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर है। शहबाज शरीफ सरकार ने मई में 800 से अधिक गैरजरूरी लग्जरी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद व्यापार घाटा काफी ज्यादा रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जून माह में पाकिस्तान का व्यापार घाटा 32% अधिक बढ़कर 4.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एक साल पहले इसी महीने में यह 3.66 अरब डॉलर था। समाप्त वित्त वर्ष के लिए व्यापार घाटा 2017-18 के 37 अरब डॉलर के अब तक के उच्चतम स्तर से कहीं अधिक रहा है। उस समय आयात मुख्य रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के रास्ते बढ़ा था।
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