अपनी खुशबूदार और स्वादिष्ट चाय के लिए दुनिया भर में मशहूर दार्जीलिंग के टी गार्डन इस समय भयंकर मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। बीते एक साल से जारी रूस यूक्रेन युद्ध के चलते जहां चाय के एक्सपोर्ट को तगड़ा झटका लगा था, वहीं इस साल तेज गर्मी और खराब मौसम की वजह से दार्जीलिंग में चाय बागान मालिकों को दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम की मार से मुरझाईं पत्तियां
चाय बागान के मालिकों के अनुसार पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों में अपेक्षाकृत अधिक तापमान के साथ-साथ लंबे समय तक शुष्क मौसम के परिणामस्वरूप चालू पहले तुड़ाई सत्र में ‘फसल की कमी’ की स्थिति हो रही है। बागान मालिकों ने कहा कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण, चाय की पत्तियों का मुरझाना और झाड़ियों पर कीटों का हमला भी देखा गया है।
दार्जीलिंग में 22 प्रतिशत कम हुई बारिश
दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रधान सलाहकार संदीप मुखर्जी ने कहा कि दो दशकों की अवधि में, यह देखा गया है कि दार्जिलिंग में सालाना बारिश में 22 प्रतिशत की कमी आई है और वर्षा का प्रतिरूप ‘अनियमित’ हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ साल में देखा है कि मौसम की शुरुआत सूखे जैसी स्थिति से होती है। यह, शायद, ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और जलवायु परिवर्तन के कारण है। पहाड़ियों में चाय बागानों में पानी के सीमित स्रोत हैं।
उत्पादन में 25 प्रतिशत की कमी
मुखर्जी ने कहा, ‘‘मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण मिट्टी की नमी कम हो रही है। हमने देखा है कि इस मौसम में पारा का स्तर लगभग 25 डिग्री सेल्सियस था, जो अभूतपूर्व है। इस मौसम में अब तक पहले तोड़ाई के दौरान उत्पादन में 20-25 प्रतिशत की कमी आई है।’’ चाय शोध संघ के सचिव और प्रधान अधिकारी, जॉयदीप फूकन ने कहा कि दार्जिलिंग में वर्तमान तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक है और इससे वायुमंडलीय आर्द्रता कम हो गई है, जो नई टहनियों के विकास में योगदान करती है।
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