चीन में मंदी का खतरा और बढ़ा, सितंबर में निर्यात-आयात में 6.2% की बड़ी गिरावट, भारत की रफ्तार हुई तेज
एक समय दुनिया की फैक्ट्री कहे जाना वाला चीन धीरे-धीरे गंभीर मंदी की चपेट में फंसता जा रहा है। एक के बाद एक आर्थिक आंकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं। वहीं, भारत बिना किसी बाधा के तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनियाभर के निवेशक अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। इस एक के बाद एक आर्थिक मोर्चे से खराब खबर आ रही है। अब चीन के निर्यात और आयात में बड़ी गिरावट आई है। शुक्रवार को जारी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में निर्यात लगातार पांचवें महीने गिरावट के साथ 6.2 प्रतिशत घटकर 299.13 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। आर्थिक जगत के जानकारों का कहना कि चीन की इकोनॉमी धीरे-धीरे गंभीर मंदी की चपेट में जा रही है। यह चीन की बड़ी जनसंख्या के लिए सही नहीं है। अर्थव्यवस्था में मंदी आने से चीन में बेरोजगारी दर में उछाल देखने को मिल सकता है। इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है। हालांकि, भारत पर बहुत ज्यादा असर होने की संभावना नहीं है।
रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी से खतरा बढ़ा
जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स के प्रवक्ता लू डालियांग ने बीजिंग में शुक्रवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वैश्विक महामारी से उबरने की अस्थिर गति ने चीन के निर्यात के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पेश की है। चीन के नेताओं के हाल के महीनों में कई नीतिगत समर्थन उपाय लागू करने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट धीमी हुई है। हालांकि रियल एस्टेट में मंदी से इकोनॉमी पर दबाव बना हुआ है। घरों बिक्री में गिरावट आई है और डेवलपर्स बैंकों का भारी कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। केंद्रीय बैंक ने छोटे व्यवसायों के लिए कुछ कर राहत उपाय प्रदान करते हुए उधार लेने के नियमों को आसान बना दिया है और पहली बार घर खरीदने वालों के लिए ब्याज दरों में कटौती भी की है। यूरोप और एशिया में फेडरल रिजर्व तथा केंद्रीय बैंकों के कई दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति को कम करने के लिए पिछले साल ब्याज दरें बढ़ाना शुरू करने के बाद चीनी निर्यात की मांग कमजोर हुई है।
भारत की जीडीपी दर का अनुमान दूसरी बार बढ़ाया
चीन में जहां एक ओर मंदी का खतरा लगातार बढ़ रहा है। वहीं, भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर इंटरनेशनल एजेंसी का भरोसा बढ़ा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है, जो अप्रैल की रिपोर्ट के बाद इसका दूसरा संशोधन है। आईएमएफ ने अपने लेटेस्ट विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि, इस वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.3 प्रतिशत (India GDP forcast) रहने की उम्मीद है। यह इसके पिछले अनुमान से यह 20 आधार अंक (100 आधार अंक 1 प्रतिशत अंक के बराबर है) से ज्यादा है। आईएमएफ (IMF) ने विकास अनुमान में बढ़ोतरी के लिए अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से ज्यादा मजबूत खपत को वजह बताई। इससे पहले ग्रोथ का अनुमान अप्रैल में 5.9 प्रतिशत, जुलाई में 6.1 प्रतिशत था जिसे बढ़ाकर अब 6.3 प्रतिशत कर दिया गया है। यह इस बात का संकेत है कि भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है।