नोटबंदी के दौरान जब 500 और 1000 रुपये के नोट बंद हुए तो उसका स्थान लेने 2000 रुपये का नोट पेश किया गया था। लेकिन इतना महंगा नोट भारतीयों की जेब में ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और अब नाम मात्र के प्रचलन में बचा है। स्थिति यह है कि मूल्यवान नोटों में 2000 के नोट की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीते वित्त वर्ष में 2000 के नोट के प्रचलन में काफी गिरावट आई है और इस साल मार्च अंत तक चलन वाले कुल नोट में इनकी हिस्सेदारी घटकर 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत रह गई। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस साल मार्च तक सभी मूल्यवर्ग के नोटों की कुल संख्या 13,053 करोड़ थी। इससे एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 12,437 करोड़ था।
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लगातार घट रही है हिस्सेदारी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 के अंत में चलन में शामिल 2000 रुपये के मूल्यवर्ग वाले नोटों की संख्या 274 करोड़ थी। यह आंकड़ा चलन में कुल करेंसी नोटों की संख्या का 2.4 प्रतिशत था। इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ या दो प्रतिशत रह गई। पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत तक रह गया। उपरोक्त आंकड़े मात्रा के लिहाज से हैं। यदि मूल्य के संदर्भ में बात करें तो मार्च 2020 में 2000 रुपये के नोट का कुल मूल्य, सभी मूल्यवर्ग के नोटों के कुल मूल्य का 22.6 प्रतिशत था। मार्च 2021 में यह आंकड़ा घटकर 17.3 प्रतिशत और मार्च 2022 में 13.8 प्रतिशत रह गया।
कहां गए वो 2,000 रुपये के नोट?
आरबीआई की ताजा सालाना रिपोर्ट इन नोटों के बारे में कुछ नहीं कहती है। जाहिर है, आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी है क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि इन नोटों की कीमत अधिक होने के कारण काले धन के रूप में जमा किया गया हो।
500 के नोट का दबदबा
रिपोर्ट के अनुसार इस साल मार्च के अंत में 500 रुपये के नोटों की संख्या बढ़कर 4,554.68 करोड़ हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 3,867.90 करोड़ थी। मात्रा के लिहाज से चलन में सबसे अधिक 500 रुपये के नोट (34.9 प्रतिशत) थे। इसके बाद 21.3 प्रतिशत के साथ 10 रुपये के नोटों का स्थान रहा। रिपोर्ट के अनुसार सभी मूल्य वर्ग में चलन वाली मुद्रा का कुल मूल्य इस साल मार्च में बढ़कर 31.05 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो मार्च 2021 में 28.27 लाख करोड़ रुपये था।
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