नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने क्रूड ऑयल की कीमत में आग लगा दी है। गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल (ब्रेंट क्रूड) 2.83 प्रतिशत बढ़कर 116 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया है। एनर्जी एक्सपर्ट का कहना है कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर आने वाले 15 दिनों में कच्चा तेल 150 डॉलर के पार चला जाए। इसकी वजह यह है कि रूस कच्चे तेल का बड़ा निर्यातक देश है लेकिन उसपर लगे प्रतिबंद्ध के कारण दुनिया के देश उससे तेल नहीं खरीद रहे हैं। इससे आपूर्ति का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, सउदी अरब ने तत्काल उत्पादन बढ़ाने से मना कर दिया है। ऐसे में कच्चा तेल का भाव एक बार फिर फरवरी, 2008 (ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस) के रिकॉर्ड हाई को छू सकता है। आइए जानते है कि अगर, ऐसा हुआ तो आपके बजट पर क्या असर होगा?
कच्चे तेल में आया 90 दिन में 90% का उछाल
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने इंडिया टीवी को बताया कि बीते 90 दिन में कच्चा तेल 90% महंगा हो गया है। 1 दिसंबर, 2021 को कच्चा तेल का भाव 62 डॉलर प्रति बैरल था जो अब बढ़कर 116 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। अगर यूक्रेन संकट जारी रहा तो कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल के पार भी जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भारत में पेट्रोल-डीजल में कम से कम 25 से 30 रुपये की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। यह महंगाई बढ़ाने का अहम कारण होगा।
महंगाई बढ़ेगी और ईएमआई का बोझ भी
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल में रिकॉर्ड तेजी से न सिर्फ देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी होगी बल्कि रसोई गैस समेत तमाम जरूरी चीजों के दाम बढ़ेंगे। ऐसा मालभाड़ा और आयात बिल बढ़ने से होगा। यह देश में महंगाई को और बढ़ाने का काम करेगा। पहले ही महंगाई रिजर्व बैंक के लेबल से पार निकल चुका है। ऐसे में और महंगाई बढ़ने पर आरबीआई को ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना होगा। इससे सभी तरह के लोन की ईएमआई का बोझ बढ़ेगा। यह ओवरऑल घर के बजट को बिगाड़ने का काम करेगा।
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