माल एवं सेवा कर (GST) अधिनियम को करदाताओं के लिए और सुगम बनाने के लिए सरकार ऐसे दंडात्मक अपराधों को इससे हटाने पर विचार कर रही है जो भारतीय दंड संहिता (IPC) के दायरे में पहले से ही आते हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा प्रस्ताव
एक अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव जीएसटी कानून के दायरे से कुछ अपराधों को बाहर करने की कवायद के तहत लाया गया है और जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इसे रखे जाने की संभावना है। प्रस्ताव को जीएसटी परिषद की मंजूरी मिल जाती है तो वित्त मंत्रालय जीएसटी कानून में संशोधन का प्रस्ताव देगा, जिसे अगले महीने से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में रखा जाएगा।
बदलावों को दिया गया अंतिम रूप
जीएसटी कानून के दायरे से अपराध को बाहर करने की कवायद के तहत विधि समिति ने इसकी धारा 132 में बदलावों को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने बताया कि जो अपराध भारतीय दंड संहिता के दायरे में आते हैं उन्हें जीएसटी कानून से हटा दिया जाएगा। कानून में संशोधन को संसद से मंजूरी मिलने के बाद राज्यों को भी अपने जीएसटी कानून बदलने पड़ेंगे।
फर्जी बिल जारी करने वालों पर शिकंजा
टैक्स की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने बताया कि शुरुआत में फर्जी बिज के अपराधों को दायरे से बाहर किया जा सकता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि फर्जी बिल जारी करने और इन्हें स्वीकार करने से जुड़े अपराध भारतीय दंड संहिता के दायरे में लाए जा सकते हैं।
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