Costly Living: कोरोना संकट से जिस तरह भारत उबर रहा है और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, लोग वर्क फ्रॉम होम की खुमारी से निकलकर ऑफिस जाने लगे हैं। लेकिन ये बदलाव महंगे इलाकों में किराये पर रह रहे लोगों के लिए मुसीबत लेकर आया है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार शहरों की पॉश कॉलोनियों में किराए बेतहाशा गति से बढ़ रहे हैं। ये हाल देश के 7 महानगरों का है, जहां मकानों का औसत मासिक किराया 8 से 18 फीसदी बढ़ चुका है।
रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म एनारॉक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के सात प्रमुख शहरों में महंगी आवासीय कॉलोनियों में बीते दो वर्ष में मासिक औसत किराया 8 से 18 फीसदी बढ़ गया है जबकि मकानों की कीमत दो से नौ फीसदी बढ़ गया।
इन शहरों में बढ़ गए किराये
रियल एस्टेट परामर्शदाता एनारॉक ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, मुंबई महानगर क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में संभ्रांत आवासीय कॉलोनियों में महंगी आवासीय संपत्तियों की खरीदने या किराये पर लेने के लिहाज से मांग बढ़ गई है।
कहां कितना किराया
वर्ली मुंबई इलाके में न्यूनतम 2,000 वर्गफुट क्षेत्र के महंगे घरों का मासिक किराया 2020 में दो लाख रुपये था जो 18 फीसदी बढ़कर 2.35 लाख रुपये प्रतिमाह हो गया। बेंगलुरु के राजाजी नगर में सर्वाधिक नौ फीसदी की पूंजीगत वृद्धि हुई और औसत कीमतें 2020 के 5,698 प्रति वर्गफुट से बढ़कर 2022 में 6,200 प्रति वर्गफुट हो गईं।
बडे़ घरों की ओर रुझान
एनारॉक के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण महंगे आवासीय बाजारों के किराये में बीते वर्षों में दहाई अंकों की वृद्धि हुई है।’’ उन्होंने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बाद किरायेदारों का बड़े आकार के घरों की ओर रूझान बढ़ा है।
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