Corona Hit China: दुनिया को तबाह करने वाले कोरोना वायरस की पैदाइश चीन से हुई थी, इस बात को अभी तक चीन ने नहीं माना है, लेकिन अब ढाई साल के बाद जाकर चीन ने पहली बार स्वीकार किया है। कि 2022 में कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन से उसकी अर्थव्यवस्था जरूर गड्ढे में चली गई है। चीन की ओर से जारी ताजा आर्थिक आंकड़ों के अनुसार शंघाई और अन्य शहरों में लगाए गए सख्त लॉकडाउन की वजह से उसकी इकोनॉमी 0.4 प्रतिशत टूट गई है।
चीन के नेशनल स्टेटिस्टिकल ब्यूरो ने गुरुवार को ताजा आंकड़े जारी किए, जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए इस साल मार्च अप्रैल में शंघाई के साथ ही दूसरे शहरों में सख्त लॉकडाउन लगाए गए। कारोबारी गतिविधियां और लोग घरों में बदं थे। इस दौरान चीन की आर्थिक वृद्धि साल की पहली तिमाही में 0.4 प्रतिशत तक गिर गई।
‘स्थिर सुधार’’ जारी
मौजूदा गिरावट के बावजूद सरकार ने कहा कि अर्थव्यवस्था में ‘‘स्थिर सुधार’’ जारी है। मई और जून में गतिविधि में सुधार हुआ। संक्रमण रोधी नियंत्रण उपायों से दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाह शंघाई में जहाजों का परिचालन बाधित हुआ है, जिससे वहां और अन्य प्रमुख शहरों में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बाधित हुईं। लाखों लोग अपने-अपने घरों तक ही बंद थे जिससे उपभोक्ता खर्च में कमी आई। अधिकांश आर्थिक पूर्वानुमानकर्ताओं को उम्मीद है कि चीन इस साल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के 5.5 प्रतिशत के विकास लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहेगा।
चीन में फिर लॉकडाऊन के आसार
चीन में कोरोना वायरस का कोहराम अभी थमा नहीं है। संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए फिर लॉकडाउन का सहारा लिया जा सकता है । दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में अगर फिर लॉकडाऊन लगाया गया तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए इसके नतीजे काफी भयावह होंगे । यह इकोनॉमी के लिए बड़ा झटका साबित होगा और पूरी दुनिया पर इसका प्रभाव पड़ेगा। संक्रमण का सिर्फ एक मामला सामने आने के बाद ही चीन के एक शहर को 3 दिनों के लिए बंद कर दिया गया।
शेयर बाजार में भारी गिरावट
चीन में इन दिनों कोरोना ने फिर से खलबली मचा दी है जिसके बाद चीनी शेयर बाजार बीते 15 दिनों में बुरी तरह टूटा है। चीन का हैंग सैंग चाइना इंटरप्राइज इंडेक्स Hang Seng China Enterprise Index 28 जून के बाद से अब तक करीब 9 फीसदी तक गिर चुका है। ऐसे में इन्वेस्टर्स के सामने फिर से चिंता खड़ी हो गई है कि अगर कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो फिर से आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाएंगी।
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