भारत की जीडीपी में बढ़ेगा होटल उद्योग का योगदान, इस साल तक हिस्सेदारी 1000 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद
भारत में जहां तक विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) की बात है तो 2021 में 15 लाख से बढ़कर 2024 तक यह 1.5 करोड़ हो गई। 2030 तक इसके 2.5 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
घरेलू पर्यटकों की यात्राओं और अंतरराष्ट्रीय आगमन में उल्लेखनीय उछाल के चलते देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारतीय होटल उद्योग का प्रत्यक्ष योगदान 2047 तक 1000 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) और बेनोरी नॉलेज की ‘विज़न 2047: इंडियन होटल इंडस्ट्री’ रिपोर्ट के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में होटल उद्योग का प्रत्यक्ष योगदान 2022 में 40 अरब डॉलर था और 2027 तक इसके 68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह 2047 तक करीब 1000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
देश में तेजी से बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
आतिथ्य क्षेत्र से जुड़े निकाय के अनुसार क्षेत्र को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए आवास वृद्धि को महानगरों से आगे दो व तीन स्तर के शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक भी ले जाना होगा। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि कुल योगदान में खाद्य व पेय, सैलून व स्पा जैसे संबंधित उद्योग क्षेत्रों की सेवाओं के पहलू शामिल हैं। इसमें सेवा बाजार की वृद्धि पर गौर नहीं किया गया। इसलिए इसमें परिदृश्य-आधारित योगदान अनुमान शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित वृद्धि का श्रेय जीडीपी वृद्धि और आय स्तर में वृद्धि, घरेलू पर्यटकों की आमद में वृद्धि और विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) जैसे कारकों को दिया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू पर्यटक यात्राओं की संख्या 2021 में 67.7 करोड़ थी जिसके 2030 तक 1.5 अरब होने की उम्मीद है। वहीं 2047 तक इसके 15 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत में जहां तक विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) की बात है तो 2021 में 15 लाख से बढ़कर 2024 तक यह 1.5 करोड़ हो गई। 2030 तक इसके 2.5 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है और ‘‘2047 तक 10 करोड़ पर्यटकों के देश आने की उम्मीद है।’’
एयूसीएल कॉर्पोरेट लिमिटेड के संस्थापक अक्षत खेतान के अनुसार, देश की जीडीपी को बढ़ाने में ये कदम होंगे सहायक
निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना होगा
इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में निवेश को बढ़ावा देना, सही मायने में जीडीपी के विकास के सबसे कारगर तरीकों में से एक है। देश में परिवहन नेटवर्क, संचार व्यवस्था, बिजली की सुविधाओं तथा औद्योगिक क्षेत्रों को बेहतर बनाने के लिए सरकारें और निजी क्षेत्र साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इस तरह के निवेश से उत्पादकता बढ़ती है, लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी आती है, विदेशी निवेशक आकर्षित होते हैं तथा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहन करना होगा
आर्थिक विकास के लिए इनोवेशन को अपनाना और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना सबसे ज्यादा मायने रखता है। अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने, स्टार्ट-अप को सहारा देने तथा डिजिटल बदलाव से संबंधित पहलों को अमल में लाने से उद्योगों की उत्पादकता बढ़ती है, लागत कुशलता बेहतर होती है और प्रतिस्पर्धा की क्षमता में सुधार होता है।
शिक्षा और कौशल को बेहतर बनाना होगा
जीडीपी के विकास को बढ़ावा देने में शिक्षित और कामकाज में कुशल लोगों की मौजूदगी की बेहद अहम भूमिका होती है। सरकारों को बेहद कुशल कामकाजी लोगों को तैयार करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो खुद को श्रम बाजार की बदलती जरूरतों के अनुरूप ढाल सकें। कामकाजी लोगों के कुशल होने से उत्पादकता बढ़ती है, विदेशी निवेशक आकर्षित होते हैं और उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिलता है।
व्यापार एवं निर्यात को बढ़ावा देना होगा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं निर्यात के अवसरों को बढ़ाने का सीधा असर जीडीपी के विकास पर दिखाई दे सकता है। व्यापार नीतियों को सुव्यवस्थित करने, टैरिफ को कम करने और व्यापारिक समझौते करने से घरेलू उत्पादकों के लिए नए बाजार खुल सकते हैं, वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग बढ़ सकती है तथा आर्थिक विस्तार हो सकता है।
वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना करना होगा
छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) को वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाना और उनके लिए ऋण को सुलभ बनाना बेहद महत्वपूर्ण है। ऋण को सुलभ बनाने से एसएमई अपने कारोबार का विस्तार करने के साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी में निवेश कर पाएंगे, और इस तरह वे देश की आर्थिक प्रगति तथा रोज़गार के सृजन में अपना योगदान देने में सक्षम होंगे।