Congress Guarantees: कर्नाटक में चुनाव खत्म हुए महीनों हो गए हैं। सिद्दरमैया के नेतृत्व में सरकार का गठन भी हो गया है। अब समय चुनावी गारंटी को लागू करने का आ चुका है। राज्य सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार के सामने मदद की गुहार लगाई थी, जिसे केंद्र के तरफ से मना कर दिया गया था। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्टॉक की कमी का हवाला देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में चावल नहीं है इसलिए वह राज्य को चुनावी वादे को पूरा करने के लिए चावल की आपूर्ति नहीं कर सकती है। अब राज्य सरकार दूसरे वादों को पूरा करने के लिए बजट में अलग से प्रावधान करने पर विचार कर रही है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस सरकार की तरफ से दी गई पांच चुनावी गारंटी लागू करने के लिए सालाना करीब 60,000 करोड़ रुपये के कोष की जरूरत पड़ेगी।
सिद्दरमैया के ही पास है वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय का भी प्रभार संभालने वाले सिद्दरमैया ने कहा कि सात जुलाई को पेश होने वाले नई सरकार के पहले बजट का आकार 3.35 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है। उन्होंने कांग्रेस के नवनियुक्त विधायकों के विधायी प्रशिक्षण के लिए आयोजित शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि सात जुलाई को पेश होने वाला बजट 3.30 लाख करोड़ रुपये से लेकर 3.35 लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है। सिद्धरमैया ने कहा कि नई सरकार की तरफ से पांच गारंटी लागू करने के लिए चालू वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्त का प्रावधान करना पड़ेगा। पांचों गारंटी पूरा करने के लिए 59,000 करोड़ रुपये से लेकर 60,000 करोड़ रुपये तक के कोष की जरूरत पड़ेगी।
कांग्रेस ने किए थे ये 5 वादे
कांग्रेस ने मई में संपन्न विधानसभा चुनाव के दौरान पांच गारंटी दी थी और सरकार बनने के बाद सिद्दरमैया मंत्रिमंडल ने इन्हें लागू करने का फैसला भी किया था। ये पांच गारंटी हैं। सभी घरों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार के महिला प्रमुख को 2,000 रुपये की मासिक सहायता, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार को 10 किलो मुफ्त चावल, बेरोजगार स्नातकों को हर महीने 3,000 रुपये तथा डिप्लोमाधारकों को 1,500 रुपये और सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिये मुफ्त यात्रा शामिल है।
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