केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बुधवार को कहा कि कोयला मंत्रालय वित्त वर्ष 2024-25 में बिजली क्षेत्र की 87.4 करोड़ टन कोयले की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। 31 मार्च को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए बिजली मंत्रालय ने 82.1 करोड़ टन की मांग रखी थी। पीटीआई की खबर के मुताबिक जोशी ने बुधवार को ‘कोयला क्षेत्र में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ पुस्तिका के विमोचन के मौके पर यह बात कही। जोशी ने कहा कि बिजली मंत्रालय की मांग पूरी हो गई है।
मार्च तक एक अरब टन कोयला उत्पादन होगा
जोशी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बिजली मंत्रालय ने 87.4 करोड़ टन कोयला मांगा है। हम उनकी इस जरूरत को भी पूरा करेंगे। हम इस साल मार्च तक एक अरब टन कोयला उत्पादन के आंकड़े को पार करने जा रहे हैं। जोशी ने कहा कि आयातित कोयले की हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में कम हो गई है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में मिश्रण के लिए कोयले का आयात लगभग 2.22 करोड़ टन था, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 3.08 करोड़ टन था।
82,264 करोड़ रुपये की बचत
जोशी ने कहा कि कोयला आयात में कमी से सिर्फ एक साल में 82,264 करोड़ रुपये की बचत हुई है। सरकार का लक्ष्य 2026 तक कोयले का आयात ‘शून्य’ करने का भी है। जोशी ने कहा कि कोयला मंत्रालय रैक की उपलब्धता के लिए रेल मंत्रालय के साथ भी संपर्क में है। मंत्री ने कहा कि कोयले के परिवहन के लिए रैक की औसत उपलब्धता भी पिछले वित्त वर्ष में 369 रैक प्रतिदिन से बढ़कर अब 392 रैक प्रति दिन हो गई है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी रैक की उपलब्धता में सुधार होगा। भारत में बिजली उत्पादन में कोयला सबसे बड़ा माध्यम है।
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