आपकी सुबह जिस चाय की चुस्की से होती है, वो इंडस्ट्री ही बीमारी की ओर जा रही है। इसका कारण है दुनिया में हो रहा जलवायु परिवर्तन। ठंडे वातावरण में पैदा होने वाली चाय के बागान बढ़ती गर्मी से मुरझा रहे हैं। जिसका असर चाय के बागानों पर पड़ रहा है। इसके अलावा चाय की पत्तियों पर संक्रमण के चलते इसका उत्पादन घट रहा है।
चाय बागान मालिकों की संस्था श्इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर चाय उद्योग के लिए खतरा बन रहा है जिससे पैदावार कम होने के साथ उत्पादन लागत भी बढ़ रही है। आईटीए के एक प्रवक्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन चाय उद्योग की दीर्घकालिक लाभप्रदता को भी खतरे में डाल रहा है, जिससे कीट संक्रमण भी बढ़ रहा है और कीटनाशक अवशिष्टों का प्रबंधन भी एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
आईटीए ने कहा कि पिछले कई वर्षों से चाय की खेती वाले क्षेत्रों में वर्षा में कमी और तापमान में वृद्धि हुई है। आईटीए के मुताबिक, टिकाऊ कृषि तौर-तरीकों को अपनाकर और कार्बन फुटप्रिंट में कमी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करने के लिए उद्योग को बहुआयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, एसोसिएशन ने कहा कि सभी अंशधारकों को मिलकर उद्योग को कायम रखने के लिए शोध के क्षेत्र में निवेश करते हुए समाधान लेकर सामने आना होगा।
चाय बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश में जनवरी 2023 में चाय उत्पादन एक करोड़ 34.3 लाख किलोग्राम था, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष के इसी महीने में यह उत्पादन एक करोड़ 62.2 लाख किलोग्राम का था।
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